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किस काम की तकनीक? जकरबर्ग बोले- लीक का पता अखबार पढ़कर चला

सोशल मीडिया दिग्गज फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग आज दूसरे दिन अमेरिकी कांग्रेस के सामने हाजिर हुए हैं. यहां फिर उनसे तीखे सवाल पूछे जा रहे हैं. जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया है कि जकरबर्ग कैंब्रिज एनालिटिका डेटा लीक के मामले पर सवालों से घिरे हैं. इस दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि कभी-कभी फेसबुक से जुड़ी घटनाओं के संदर्भ में जानकारियां उन्हें प्रेस से मिलती हैं. दरअसल सवाल जवाब के दूसरे दिन की कड़ी में जब अमेरिकी सांसदों ने सवाल किया- फेसबुक के पास एडवांस्ड डेटा प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी है. इसके बावजूद क्या आपको ऐसे स्कैंडल्स के बारे में प्रेस से पता चलता है? एलेग्जेंडर कोगन ने आपके यूजर डेटा को एक एजेंसी को बेच देता है, तब भी आपको भनक नहीं लगती? हम आपके वादों पर भरोसा क्यों करें जब आप लगातार ऐसा कर रहे हैं? जवाब में जकरबर्ग ने कहा कि हां, 2015 में पहली बार हमें गार्डियन की रिपोर्ट के बाद कैम्ब्रिज एनालिटिका के बारे में पता चला था. कई बार हमें इस तरह के उल्लंघन के बारे में प्रेस से पता चलता है. गौरतलब है कि, 2015 में कोगन ने डेटा अपने ऐप के जरिए डेटा इकट्ठा किया था और ये जानकारियां कोगन ने कैम्ब्रिज एनालिटिका को दे दी थी. लेकिन फेसबुक ने दिसंबर 2015 में गार्डियन की रिपोर्ट सामने आने के बाद उस पर कार्रवाई शुरू किया था. इसके अलावा भी जकरबर्ग जब पूछा गया कि क्या फेसबुक के पास ऐसी तकनीक है जिससे वो पता लगा सकते हैं कि कोई बाहरी ताकत इलेक्शन को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है. जवाब में जकरबर्ग ने कहा कि, 2016 चुनाव के बाद से कंपनी इस पर लगातार काम कर रही है, ताकि आने वाले समय में ऐसा न हो और रूस जैसी कोई बाहरी ताकत चुनाव को प्रभावित ना कर सके.

सोशल मीडिया दिग्गज फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग आज दूसरे दिन अमेरिकी कांग्रेस के सामने हाजिर हुए हैं. यहां फिर उनसे तीखे सवाल पूछे जा रहे हैं. जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया है कि जकरबर्ग कैंब्रिज एनालिटिका डेटा लीक के मामले पर सवालों से घिरे हैं. इस दौरान …

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बंगाल पंचायत चुनाव हिंसा: TMC के दो गुटों की लड़ाई में दो की मौत

उत्तरी 24 परगना जिले में विजय जुलूस के दौरान बुधवार को सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस में संदिग्ध गुटीय लड़ाई में दो व्यक्तियों की मौत हो गयी. पुलिस ने इसकी जानकारी दी. जिले के सासन इलाके में फाल्ती ग्राम पंचायत में पार्टी उम्मीदवार की निर्विरोध जीत के बाद रैली निकाली गई थी. पार्टी के स्थानीय नेता सैफर रहमान (52) जब रैली में चल रहे थे तो तब उन पर चाकू से हमला किया गया. उनको बारासात में एक अस्पताल में ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. पुलिस ने बताया कि स्थानीय लोगों ने तृणमूल कांग्रेस के 40 वर्षीय कार्यकर्ता रजब अली को यह आरोप लगाते हुए स्थानीय लोगों ने पीट-पीटकर मार डाला कि उसने रहमान की हत्या की है. बहरहाल, राज्य में पंचायत चुनाव नामांकन को लेकर कई जगह हिंसक घटनाएं हुई हैं. पश्चिम बंगाल राज्य निर्वाचन आयोग ने पलटा फैसला इससे पहले मंगलवार को अपने ही फैसले को पलटते हुए हुए पश्चिम बंगाल राज्य निर्वाचन आयोग ने राज्य में अगले महीने होने वाले पंचायत चुनावों के लिए नामांकन-पत्र दाखिल करने की बढ़ी हुई समय सीमा वापस ले ली. इस बीच, विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया कि राज्य निर्वाचन आयोग को सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने समय सीमा बढ़ाने के पिछले आदेश को रद्द करने के लिए मजबूर किया है. आयोग के सूत्रों ने बताया कि राज्य निर्वाचन आयुक्त एके सिंह ने पूर्व के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें पंचायत चुनावों में नामांकन-पत्र दाखिल करने की अवधि बढायी गयी थी. सुप्रीम कोर्ट पहुंची बीजेपी बीजेपी की पश्चिम बंगाल इकाई ने निर्वाचन आयोग की ओर से अपना ही फैसला वापस लेने के निर्णय के कुछ ही घंटों के भीतर शीर्ष न्यायालय का रुख किया. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भी राज्य निर्वाचन आयोग के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी. बीजेपी नेता प्रताप बंद्योपाध्याय ने आयोग के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है. पहले से जारी काम थम जाने पर वकीलों के विरोध के मद्देनजर न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार ने अपने चैंबर में याचिकाकर्ता और उनके विरोधी का पक्ष सुना. न्यायमूर्ति तालुकदार के चैंबर से बाहर आकर बंद्योपाध्याय ने कहा कि न्यायालय ने निर्वाचन आयोग के आदेश को रद्द करने के आयोग के ही फरमान पर अंतरिम रोक लगा दी है और कहा कि मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होगी. मई के पहले हफ्ते में होगी वोटिंग इस मामले से जुड़े सभी पक्षों से कहा गया है कि वे हलफनामे दाखिल करके अपना रुख स्पष्ट करें. तृणमूल कांग्रेस की तरफ से पेश हुए पार्टी सांसद और वरिष्ठ वकील कल्याण बनर्जी ने कहा कि न्यायालय ने आदेश पर रोक भले ही लगा दी है, लेकिन उसने चुनावी प्रक्रिया में दखल देने से इनकार किया है. पंचायत चुनाव एक, तीन और पांच मई को तीन चरणों में कराए जाएंगे. राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी नई अधिसूचना में कहा गया, ‘‘ऐसा लगता है कि नामांकन की तारीख बढ़ाने के लिए उच्चतम न्यायालय की ओर से कोई विशिष्ट निर्देश नहीं दिए गए हैं. लिहाजा, सभी दस्तावेजों के अध्ययन और सभी बिंदुओं पर विचार करने के बाद आयोग उस आदेश को वापस लेता है और ( पिछला) आदेश रद्द करता है.’’ एक, तीन और पांच मई को होने वाले पंचायत चुनावों के लिए नामांकन- पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख 9 अप्रैल थी, जबकि आयोग ने इसकी अवधि 10 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दी थी. आयोग ने इन शिकायतों के बाद नामांकन दाखिल करने की अवधि बढ़ाई थी कि विपक्षी उम्मीदवारों को पर्चा दाखिल करने से रोका गया. नयी अधिसूचना के अनुसार, निर्वाचन आयुक्त को राज्य सरकार के विशेष सचिव और तृणमूल कांग्रेस की तरफ से दो पत्र मिले. इन दोनों पत्रों में आयोग के पहले के आदेश में कानून की विसंगतियों का हवाला दिया गया था. बीजेपी नेता दिलीप घोष ने लगाया आरोप प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग पर दबाव बनाया कि वह अपना पिछला आदेश वापस ले. राज्य विधानसभा में माकपा के नेता सुजान चक्रवर्ती ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग को कोई आजादी नहीं है और राज्य के मंत्रियों ने उस पर दबाव डाला है. विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने आयोग पर दबाव बनाया था कि वह समयसीमा बढ़ाने का ‘‘अवैध आदेश’’ दे.

उत्तरी 24 परगना जिले में विजय जुलूस के दौरान बुधवार को सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस में संदिग्ध गुटीय लड़ाई में दो व्यक्तियों की मौत हो गयी. पुलिस ने इसकी जानकारी दी. जिले के सासन इलाके में फाल्ती ग्राम पंचायत में पार्टी उम्मीदवार की निर्विरोध जीत के बाद रैली निकाली गई थी. …

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विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ FIR, पढ़ें गुरुवार सुबह की 5 बड़ी खबरें

सोशल मीडिया दिग्गज फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग आज दूसरे दिन अमेरिकी कांग्रेस के सामने हाजिर हुए हैं. यहां फिर उनसे तीखे सवाल पूछे जा रहे हैं. जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया है कि जकरबर्ग कैंब्रिज एनालिटिका डेटा लीक के मामले पर सवालों से घिरे हैं. इस दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि कभी-कभी फेसबुक से जुड़ी घटनाओं के संदर्भ में जानकारियां उन्हें प्रेस से मिलती हैं. 5. इसरो ने लॉन्‍च किया स्वदेशी नेविगेशन सैटेलाइट IRNSS-1I भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपना नेविगेशन सैटेलाइट (IRNSS-1I) गुरुवार सुबह लॉन्च कर दिया. इस सैटेलाइट को पीएसएलवी-सी41 रॉकेट के जरिए गुरुवार सुबह 4.04 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के एफएलपी से लॉन्च किया गया. बता दें, IRNSS-1I स्वदेशी तकनीक से निर्मित नेविगेशन सैटेलाइट है.

उन्नाव गैंगरेप मामले में आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ FIR दर्ज. वहीं, इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश भी कर दी गई है. एक साथ तीन रिपोर्ट मिलने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर  गृह विभाग ने ये फैसला लिया है. पढ़ें गुरुवार सुबह …

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जस्ट‍िस कुरियन का CJI को लेटर- सुप्रीम कोर्ट का अस्तित्व खतरे में, इतिहास हमें माफ नहीं करेगा

सु‍प्रीम कोर्ट का अस्तित्व खतरे में है और यदि जजों की नियुक्ति के मामले में सरकार की चुप्पी पर कोर्ट कुछ नहीं करता है तो इतिहास हमें माफ नहीं करेगा. जस्टिस कुरियन जोसेफ ने भारत के चीफ जस्ट‍िस (CJI) को लिखे एक नए पत्र में यह बात कही है. इससे देश की न्यायिक व्यवस्था में एक बार फिर विवाद शुरू होने और सरकार तथा सुप्रीम कोर्ट के बीच एक तरह का टकराव शुरू होने की आशंका है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, जस्ट‍िस कुरियन जोसेफ ने इस लेटर में लिखा है, 'कोलेजियम द्वारा एक जज और एक वरिष्ठ वकील को तरक्की देकर सर्वोच्च न्यायालय में लाने की सिफारिश को दबा कर बैठे रहने के सरकार के अभूतपूर्व कदम पर यदि कोर्ट ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो इतिहास हमें माफ नहीं करेगा.' असल में जस्ट‍िस कुरियन कोलेजियम के फरवरी के उस निर्णय का हवाला दे रहे हैं जिसमें वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा और उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्ट‍िस के.एम. जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाने की सिफारिश की गई है. सरकार और सुप्रीम कोर्ट में टकराव की राह! इस लेटर में काफी जोरदार शब्दों में अपील करते हुए जस्ट‍िस कुरियन जोसफे ने कहा है, 'पहली बार इस अदालत के इतिहास में ऐसा हुआ है कि किसी सिफारिश पर तीन महीने बाद तक यह पता नहीं चल पा रहा है कि उसका क्या हुआ.' उन्होंने CJI से कहा कि इस मसले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सात वरिष्ठ जजों की बेंच के द्वारा सुनवाई की जाए. उनकी यह मांग अगर मान ली जाती है तो सात जजों की पीठ सरकार को कोलेजियम की लंबित सिफारिशों पर तत्काल निर्णय लेने का आदेश दे सकती है. इसके बाद भी सरकार अगर ऐसा नहीं करती तो उसे न्यायिक अवमानना मानी जाएगी. जस्ट‍िस कुरियन ने इस लेटर की कॉपी सुप्रीम कोर्ट के 22 अन्य जजों को भी भेजी है. गौरतलब है कि इसके पहले गत 12 जनवरी को जस्ट‍िस कुरियन जोसेफ सहित चार जजों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर CJI की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे.

सु‍प्रीम कोर्ट का अस्तित्व खतरे में है और यदि जजों की नियुक्ति के मामले में सरकार की चुप्पी पर कोर्ट कुछ नहीं करता है तो इतिहास हमें माफ नहीं करेगा. जस्टिस कुरियन जोसेफ ने भारत के चीफ जस्ट‍िस (CJI) को लिखे एक नए पत्र में यह बात कही है. इससे …

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कहीं आप भी गलत तरीके से तो नहीं चार्ज करते रहे हैं फोन, यहां पढ़ें सही तरीका

मल्टीमीडिया डेस्क। ज्यादातर लोग अपने फोन को इतने लंबे समय से गलत तरीके से चार्ज करते आ रहे हैं। उन्हें पता ही नहीं है कि चार्जिंग के बारे में जो बातें बताई जा रही हैं, वे फोन की बैट्री को फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचा रही हैं। कहीं, आप भी तो इन सुनी-सुनाई बातों के आधार पर अपने फोन की बैट्री को बर्बाद नहीं कर रहे हैं। मिरर में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि कई लोग सोने जाने से पहले फोन को चार्जिंग में लगा देते हैं। फिर फोन रातभर चार्ज होने के लिए छोड़ देते हैं। मगर, इससे फोन की बैट्री को अधिक नुकसान हो सकता है। अधिकांश स्मार्टफोन, टैबलेट और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स लिथियम-आयन बैटरी से चलाते हैं। इसमें एनोड, कैथोड और एक रासायनिक इलेक्ट्रोलाइट होता है। जब फोन का इस्तेमाल किया जा रहा होता है, तो चार्ज पॉजिटिव कैथोड से इलेक्ट्रोलाइट में भेजा जाता है। वहीं, जब फोन को चार्ज किया जाता है, तो यह प्रक्रिया उल्टी हो जाती है। कैडैक्स नाम की एक कंपनी है स्मार्टफोन और अन्य बैटरी का टेस्ट करने वाली डिवाइस मुहैया कराती है। यह बैटरी साइंस नाम की एक फ्री एजुकेशनल वेबसाइट चलाती है। इसमें फोन की बैट्री की लाइफ बढ़ाने के लिए कई सुझाव दिए हैं... अपने फोन की बैटरी 65 से 75 परसेंट के बीच रखें। अपने फोन को थोड़ा-थोड़ा और अक्सर चार्ज करें। पूरी रात के लिए चार्जिंग पर फोन छोड़ना अच्छा नहीं है। बैट्री को पूरा खाली नहीं करना चाहिए। 10 या 20 परसेंट होने पर इसे फिर से चार्ज करें। फोन को 100 फीसद तक चार्ज करने से हाई वोल्टेज टेंशन होता है, जो खराब हो सकता है।

 ज्यादातर लोग अपने फोन को इतने लंबे समय से गलत तरीके से चार्ज करते आ रहे हैं। उन्हें पता ही नहीं है कि चार्जिंग के बारे में जो बातें बताई जा रही हैं, वे फोन की बैट्री को फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचा रही हैं। कहीं, आप भी तो इन …

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फेसबुक पर होने जा रहे हैं ये 7 बड़े बदलाव, जानिए आपके कितने काम का

मल्टीमीडिया डेस्क। दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग साइट्स में से एक फेसबुक को इन दिनों यूजर्स की आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। 2016 अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में 8 करोड़ 70 लाख यूजर्स की जानकारी के साथ हुई छेड़छाड़ के कारण फेसबुक की काफी किरकिरी हुई है। इसकी वजह से फेसबुक के संस्थापक और सीईओ मार्क जकरबर्ग ने यूजर्स से माफी भी मांगी। लेकिन, अब फेसबुक अपने प्लेटफॉर्म पर कुछ बड़े बदलाव करने जा रही है। रिपोर्ट्स की मानें तो अगले 15 दिनों में फेसबुक पर कई बड़े बदलाव देखे जा सकते हैं। ये बदलाव यूजर्स की सुरक्षा को देखते हुए किए जा रहे हैं। आइए जानते हैं इन बदलावों के बारे में... बदलेगा प्राइवेसी सेटिंग्स - यूजर्स अब अपनी जानकारी पर ज्यादा नियंत्रण रखते हुई कई बदलाव कर सकेंगे। फेसबुक की प्राइवेसी सेटिंग्स और मैन्यू को ज्यादा आसान बनाया जाएगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक प्राइवेसी सेटिंग्स के शॉर्टकट मेन्यू भी बनाए जा रहे हैं। फेसबुक बताएगा आपकी जानकारी के बारे में - फेसबुक अब यूजर्स को बताएगा कि उनसे मांगी जानकारी को किस जगह इस्तेमाल किया जाएगा। फेसबुक अपने डाटा पॉलिसी को यूजर्स के सामने पेश करेगा। ऐप पर फेसबुक रखेगा नजर - फेसबुक अब ऐसे एप्स को खुद मंजूरी देगा जो यूजर्स की जानकारी को इकट्ठा करते हैं। उदाहरण के रूप में फेसबुक कैलेंडर में इवेंट्स और लोगों के आने की जानकारी शामिल होती है। ऐसे में अब फेसबुक इस बात का खुद ध्यान रखेगा कि उसके प्लेटफॉर्म से किसी भी जानकारी का दुरुपयोग न हो। ऐप को लेनी होगी फेसबुक से इजाजत - फेसबुक अब उन एप्स पर और सख्ती से नजर रखेगा, जिनमें लोग फेसबुक की मदद से लॉग इन करते हैं। ऐसे एप्स जो यूजर के फोटो, कॉन्टेक्ट, वीडियो और ऑडियो की एक्सेस मांगते हैं उन्हें अब फेसबुक की इजाजत लेना होगा। इन जानकारियों को नहीं शेयर करेगा फेसबुक - अब फेसबुक पर कोई भी ऐप आपकी निजी जानकारी नहीं मांग सकता। जैसे धार्मि‍क, राजनीति‍क इत्यादि। इसके अलावा अब आपके फ्रेंड लि‍स्टी, शिक्षा और कामकाज संबंधित जानकारी भी शेयर नहीं होंगी। ये फीचर होगा बंद - अब फेसबुक पर नाम और ई-मेल आईडी से किसी भी शख्स को सर्च करने का फीचर खत्म हो जाएगा। आपकी पसंद का होगा विज्ञापन - अब किसी भी यूजर के फेसबुक अकाउंट पर कौन सा विज्ञापन चलेगा ये यूजर तय करेगा।

दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग साइट्स में से एक फेसबुक को इन दिनों यूजर्स की आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। 2016 अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में 8 करोड़ 70 लाख यूजर्स की जानकारी के साथ हुई छेड़छाड़ के कारण फेसबुक की काफी किरकिरी हुई है। इसकी वजह …

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रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर पद के लिए 37 नए आवेदन

नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय को रिजर्व बैंक में डिप्टी गवर्नर के पद के लिए 37 नए आवेदन मिले हैं। यह पद 31 जुलाई, 2017 को एस. एस. मुंद्रा का कार्यकाल पूरा होने के बाद से खाली है। 29 जुलाई, 2017 को इस पद पर नियुक्ति के लिए साक्षात्कार हुआ था, लेकिन बाद में नियुक्ति नहीं हुई। इस साल जनवरी में सरकार ने पूरी प्रक्रिया दोहराने की घोषणा की। नए आवेदनों के लिए 20 फरवरी तक का समय दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक, नए आवेदनों को शॉर्टलिस्ट करने की प्रक्रिया चल रही है। इसके बाद कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली फाइनेंशियल सेक्टर रेगुलेटरी अपॉइंटमेंट्स सर्च कमेटी साक्षात्कार लेगी। आवेदकों में सार्वजनिक क्षेत्र के विभिन्न बैंकों के प्रबंध निदेशक, निजी क्षेत्र के बैंकों के उच्च अधिकारी और कुछ नौकरशाह भी शामिल हैं। साक्षात्कार में पहले शॉर्टलिस्ट किए जा चुके उम्मीदवारों को भी शामिल किया जाएगा। इस पद पर नियुक्ति तीन साल के लिए होगी। चुना गया व्यक्ति दोबारा भी पद पर नियुक्ति का पात्र होगा। डिप्टी गवर्नर को 2.25 लाख रुपये मासिक वेतन के अलावा अन्य भत्ते दिए जाएंगे।

 वित्त मंत्रालय को रिजर्व बैंक में डिप्टी गवर्नर के पद के लिए 37 नए आवेदन मिले हैं। यह पद 31 जुलाई, 2017 को एस. एस. मुंद्रा का कार्यकाल पूरा होने के बाद से खाली है। 29 जुलाई, 2017 को इस पद पर नियुक्ति के लिए साक्षात्कार हुआ था, लेकिन बाद …

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अब सौ रुपए का नया नोट लाने की तैयारी, जल्द होगा जारी

बृजेश दुबे, कानपुर। आपके बटुए में जल्द ही एक और नोट नए कलेवर में दिखाई देगा। जी हां, सौ रुपए की नोट रंगरूप व आकार बदलकर बाजार में उतारने की तैयारी तकरीबन पूरी हो गई है। इससे जहां बाजार में मध्यम मूल्य वर्ग के नोट बढ़ेंगे, वहीं क्लीन नोट पॉलिसी के तहत बाजार से गंदे और कटे-फटे नोट बाहर होंगे। भारतीय रिजर्व बैंक जल्द ही इस नोट को जारी कर सकता है। नोट की डिजाइन तकरीबन तैयार हो चुकी है। माना जा रहा है कि अगले तीन माह में यह नोट लोगों की जेब में होगा। नोटबंदी के बाद से अभी तक आरबीआई 2000 रुपए, 500 रुपए, 200 रुपए, 50 रुपए और 10 रुपए के नए नोट जारी कर चुका है। इसी कड़ी में अब सौ रुपए का नया नोट जारी करने की तैयारी है। सूत्रों के मुताबिक सौ रुपए के नोट के रंग में बहुत अधिक परिवर्तन नहीं किया गया है। नोट के रंग का आधार नीला ही रहेगा लेकिन, हल्केपन के साथ। नोट के पीछे के हिस्से पर विश्वदाय स्मारक होगा। नोट की लंबाई और चौड़ाई पुराने नोट से कम होगी। वजन भी करीब 20 फीसदी कम होगा। इस नोट को जून में जारी किया जा सकता है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि जिस तरह की तैयारी चल रही है, उसके हिसाब से बाजार में यह नोट मई में ही आ जाना चाहिए। भारतीय करेंसी पेपर पर छपेगा नोट सौ रुपए का यह नया नोट भारतीय कागज से तैयार होगा। नोटबंदी के बाद करेंसी छपाई के लिए सरकार भारतीय कागज का इस्तेमाल बढ़ा रही है। इससे पहले उसकी निर्भरता विदेश पर थी और उसे करेंसी पेपर आयात करना पड़ता था। विश्वदाय स्मारक होंगे शामिल नोटबंदी के बाद आए नए नोटों में सरकार ने जिस तरह से स्मारकों को जगह दी है, ऐसे में माना जा रहा है कि सौ रुपए के नए नोट पर भी विश्वदाय स्मारक होगा। इस स्मारक को यूनेस्को ने वैश्विक धरोहर में शामिल किया है। हाई सिक्योरिटी फीचर होंगे सौ रुपए के नए नोट में आमजन की जानकारी से इतर कई हाई सिक्योरिटी फीचर होंगे। आरबीआई से जुड़े एक शख्स का कहना है कि हर मूल्य वर्ग के नए नोट के अनुसार तकरीबन दो दर्जन विशेष सुरक्षा फीचर हैं। इन्हें आमजन नहीं जानते। सौ रुपए के नए नोट में करीब बीस अतिरिक्त सिक्योरिटी फीचर हैं। इन्हें अल्ट्रा वॉयलेट लाइट में देखा जा सकता है।

आपके बटुए में जल्द ही एक और नोट नए कलेवर में दिखाई देगा। जी हां, सौ रुपए की नोट रंगरूप व आकार बदलकर बाजार में उतारने की तैयारी तकरीबन पूरी हो गई है। इससे जहां बाजार में मध्यम मूल्य वर्ग के नोट बढ़ेंगे, वहीं क्लीन नोट पॉलिसी के तहत बाजार …

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बैंक से होम लोन लेना हुआ महंगा, बढ़ाई ब्याज दरें

नई दिल्ली। हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्प (एचडीएफसी) ने प्राइम लेंडिंग रेट (पीएलआर) में बढ़ोतरी कर दी है। बैंक ने इन दरों में दिसंबर 2013 के बाद से पहली बार इजाफा किया है। बैंक ने 30 लाख रुपए से ऊपर के लोन की ब्याज दरों में 20 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर दी है, जबकि 30 लाख रुपए से कम के लोन (जिनमें निजी क्षेत्र के लोन शामिल हैं) में पांच बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतर बढ़ा दिए हैं। यह जानकारी एचडीएफसी बैंक ने अपने बयान में दी है। जानकारी के लिए बता दें कि एक बेसिस प्वाइंट 0.01 फीसद के बराबर होता है। एचडीएफसी का बेंचमार्क पीएलआर दिसंबर 2013 के अपने उच्चतम 16.75 फीसद से घटकर 16.15 फीसद के स्तर पर आ गया था। अब बढ़ोतरी के बाद यह 16.35 फीसद हो गया है। नई दरें एक अप्रैल से प्रभावी हो गईं हैं। एचडीएफसी के सीईओ केकी मिस्त्री ने कहा, 'यह बढ़ोतरी अक्टूबर के बाद से हमारे फंड्स की बढ़ती लागत को दर्शाता है। जुलाई 2017 से अबतक के बीच 10 साल वाले सरकारी बॉन्ड यील्ड में 100 बेसिस प्वाइंट का इजाफा आ चुका है। हालांकि फरवरी-मार्च में यील्ड में कमी आई है, लेकिन फिर भी यह अब भी ऊंची दर हैं। पीएलआर में यह इजाफा हमें हमारे मार्जिन 2.20 फीसद से 2.35 फीसद के बीच मेंटेन रखने में मदद करेगा, जो कि हमारा बीचे 10 वर्षों से ऐतिहासिक औसत रहा है।' 30 लाख रुपए से 75 लाख रुपए के बीच के लोन की ब्याज दर 8.40 फीसद से बढ़कर 8.60 फीसद कर दी गई है। वहीं, 75 लाख रुपए से ऊपर के लोन की ब्याज दर 8.50 फीसद से बढ़कर 8.70 फीसद कर दी गई है। 30 लाख रुपए तक के लोन 8.40 फीसद से बढ़कर 8.45 फीसद कर दिए गए हैं। महिलाओं को ऊपर बताए गये सभी स्लैब में पांच बेसिस प्वाइंट की रिबेट दी जाएगी।

 हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्प (एचडीएफसी) ने प्राइम लेंडिंग रेट (पीएलआर) में बढ़ोतरी कर दी है। बैंक ने इन दरों में दिसंबर 2013 के बाद से पहली बार इजाफा किया है। बैंक ने 30 लाख रुपए से ऊपर के लोन की ब्याज दरों में 20 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर दी …

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SC ने वक्फ बोर्ड से कहा शाहजहां के दस्तखत वाले दस्तावेज दिखाओ

नई दिल्ली। ताज महल पर मालिकाना हक को लेकर सुन्नी वक्फ बोर्ड और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के बीच विवाद चल रहा है। इस पर मालिकाना हक जताते हुए उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि खुद मुगल बादशाह शाहजहां ने बोर्ड के पक्ष में इसका वक्फनामा किया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सबूत के तौर पर शाहजहां के दस्तखत वाले दस्तावेज एक हफ्ते में दिखाने को कहा। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि भारत में कौन यकीन करेगा कि ताज महल वक्फ बोर्ड का है? ऐसे मसलों पर सुप्रीम कोर्ट का वक्त बर्बाद नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने कहा कि मुगलकाल का अंत होने के साथ ही ताज महल समेत अन्य ऐतिहासिक इमारतें ब्रिटिशों को हस्तांतरित हो गई थी। आजादी के बाद से यह स्मारक सरकार के पास है और एएसअाई इसकी देखभाल कर रहा है। बोर्ड की ओर से पेश एडवोकेट वीवी गिरी ने कहा कि बोर्ड के पक्ष में शाहजहां ने ही ताज महल का वक्फनामा तैयार करवाया था। इस पर बेंच ने तुरंत कहा कि आप हमें शाहजहां के दस्तखत वाले दस्तावेज दिखाएं। गिरी के आग्रह पर कोर्ट ने एक हफ्ते की मोहलत दे दी। चीफ जस्टिस ने वक्फ बोर्ड के वकील से कुछ सवाल भी किए। जिसमें उन्होंने कहा कि शाहजहां ने वक्फनामे पर दस्तखत कैसे किए? वह तो जेल में बंद थे और वहीं से ताज महल का दीदार करते थे। उत्तराधिकार को लेकर हुए खूनी संघर्ष के बाद शाहजहां के बेटे औरंगजेब ने जुलाई 1658 में उन्हें आगरा फोर्ट में नजरबंद कर दिया था। फिर शाहजहां ने कब वक्फ ने नाम ताजमहल का मालिकाना हक किया था। यह भी पढ़ेंः आंध्र प्रदेश के किसान ने एक ही पेड़ में उगाए 18 किस्मों के आम सुन्नी वक्फ बोर्ड ने जुलाई 2005 में आदेश जारी कर ताज महल को अपनी प्रॉपर्टी के तौर पर रजिस्टर करने को कहा था। इसके खिलाफ एएसआई ने साल 2010 में सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी, जिसके बाद कोर्ट ने बोर्ड के फैसले पर स्टे लगा दिया था। बता दें कि वक्फ का मतलब किसी मुस्लिम द्वारा धार्मिक, शैक्षणिक या चैरिटी के लिए जमीन का दान देना होता है। सीजेआई ने कहा कि ताज और 17वीं शताब्दी की तमाम मुगल इमारतों को मुगल शासन खत्म होने के बाद ब्रिटिश शासन को सौंप दिया गया था। देश की आजादी के बाद यह भारत सरकार को मिलीं और तब से एएसआई इसकी देखरेख कर रहा है। एएसआई की ओर से पेश वकील एडीएन राव ने कहा कि कोई वक्फनामा नहीं है। साल 1858 की घोषणा के तहत, अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर से ली गई संपत्ति ब्रिटिश शासन के अधीन हो गई थी। इसके बाद 1948 के अधिनियम द्वारा इमारतों को भारत सरकार ने ले लिया था।

 ताज महल पर मालिकाना हक को लेकर सुन्नी वक्फ बोर्ड और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के बीच विवाद चल रहा है। इस पर मालिकाना हक जताते हुए उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि खुद मुगल बादशाह शाहजहां ने बोर्ड के पक्ष …

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