इन दिनों देश में पैराओलंपिक की धूम मची हुई है। दरअसल इस साल ओलंपिक में व पैराओलंंपिक में इतने सारे पदक देश के नाम हुए हैं या हो रहे हैं कि लोगों का झूमना तो स्वाभाविक है। बता दें कि ओलंपिक में इस बार 7 पदक मिले हैं जिसमें दो सिल्वर व एक गोल्ड और चार ब्राॅन्ज हैं। वहीं पैराओलंंपिक शुरू हुए अभी 5 ही दिन बीते हैं कि अब तक खिलाड़ियों ने सात मेडल जीत लिए हैं। वहीं गोल्ड मेडल जीतने वाली अवनी लेखरा भी इस लिस्ट का हिस्सा बन गई हैं। खास बात ये है कि अवनी महज 12 की उम्र में पैरालिसिस का शिकार हो गई थीं। तो चलिए जानते हैं अवनी के स्ट्रगल की कहानी।
12 की उम्र में हो गया था पैरालिसिस
अवनी लेखरा को दुनिया में गोल्ड गर्ल के नाम से जाना जाता है। अवनी ने बीते 6 सालों से कई प्रतियोगिताओं में सिर्फ गोल्ड पर ही निशाना लगाया है। अपने शादार प्रदर्शन के दम पर ही अवनी ने टोक्यो पैराओलंपिक का टिकट हासिल किया था। हालांकि शूटिंग में उनकी आंखें अर्जुन की तरह सिर्फ मछली को ही देखती हैं। यही वजह है कि अवनी ने पैराओलंपिक में शानदार निशानेबाजी कर देश को गोल्ड दिलाया। कोरोना की वजह से बीते साल उनकी प्रेक्टिस पर काफी असर पड़ा। लेखरा के पिता ने बताया, ‘12 साल की उम्र में अवनी पैरालिसिस हो गई थी। वे पढ़ाई में भी काफी होशियार रही हैं। इसके बावजूद उन्होंने सपने देखना नहीं छोड़ा और आज देश को गौर्वान्वित कर रही हैं।’
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हाथ से जाती बाजी मारी और गोल्ड जीता
अवनी ने सोमवार को 10 मीटर एयर राइफल एसएच 1 स्पर्धा में मेडल जीत लिया। अवनी ने फाइनल में 249.6 का स्कोर बना कर गोल्ड अपने नाम किया है। बता दें कि ये इस बार के पैराओलंपिक में भारत को चौथा पदक है। बता दें कि क्वालीफिकेशन राउंड में अवनी थोड़ी धीमी नजर आईं। उनके हाथों से बाजी निकलती ही जा रही थी कि समय रहते उन्होंने बेहतरीन वापसी करते हुए निशाना साधा और गोल्ड जीत लिया। बता दें कि इनसे पहले ही पैराओलंपिक में भारत को तीन पदक मिल चुके हैं। हाल ही में जेवलिन थ्रो में सुंदर सिंह ने भी देश का नाम रोशन किया है ।
ऋषभ वर्मा