हिन्दू धर्म में पूजा, आराधना का अलग ही महत्व है. देश के विभिन्न मंदिरों में स्थित तरह-तरह के भगवान पूजे जाते हैं. मंदिरों को सिद्धपीठ माना गया है जहां भगवान का वास होता है. जहां भक्त दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं. ऐसे ही मंदिरों में से एक है उत्तर प्रदेश के बरसाना में स्थित राधा रानी का मंदिर. ये जगह हिन्दू धार्मिक स्थलों में बहुत महत्व रखती है. ये मंदिर उत्तर प्रदेश, मथुरा के बरसाने में स्थित है और यह मंदिर पूरी तरह से देवी राधा को समर्पित है. आपको बताते चलें यह स्थान कृष्ण के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है.
बरसाने का राधा रानी मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है, जिसकी ऊंचाई लगभग 250 मीटर है. इस मंदिर का इतिहास बहुत ही रोचक है. इस पहाड़ी को बरसाने का माथा यानी फरहेड कहा जाता है. राधा रानी के इस मंदिर को लोग और भी कई नाम से बुलाते हैं जैसे- बरसाने की लाडली का मंदिर और राधा रानी का महल. आइये जानते हैं राधा रानी के इस अद्भुत मंदिर के बारे में-
मंदिर का इतिहास-
मान्यता है कि राधा जी का ये मंदिर मुख्य रूप से लगभग 5000 वर्ष पहले व्रजनाभ राजा के द्वारा बनवाया गया था. मंदिर के बनने के समय यहां सफेद और लाल रंग का के पत्थर का प्रयोग किया गया है. लाल और सफ़ेद रंग राधा-कृष्णा के अपार प्रेम को दर्शाता है. राधा जी का जन्म जन्माष्टमी के 15 दिन बाद भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन हुआ था. इस दिन राधा रानी के मंदिर को फूलों से सजाया जाता है और राधा रानी को छप्पन भोग लगाया जाता है.
मंदिर का आर्किटेक्चर-
श्रीजी मंदिर अपने स्तंभों और लाल बलुआ पत्थर के साथ मुगल काल की संरचना की तरह दिखता है. ये मंदिर लाल बालू से बने पत्थर. मंदिर में लगे लाल और सफेद पत्थर प्रेम का प्रतीक माना गया है. इस मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियों के तल पर वृषभानु महाराज का महल है जहां वृषभानु महाराज, कीर्तिदा, श्रीदामा और श्री राधिका की मूर्तियां हैं. इस महल के पास ब्रह्मा जी का भी मंदिर स्थापित है. इसके अलावा इस मंदिर के पास ही अष्टसखी मंदिर है जहां राधा रानी और उनकी सखियों को पूजा जाता है. ये मंदिर पहाड़ी मैं सबसे ऊपर स्थापित है तो मंदिर के परिसर से आप पूरे बरसाने के दर्शन कर सकते हैं. ये मंदिर भव्य और बेहद सुन्दर है.
मंदिर के मुख्य त्यौहार-
राधाष्टमी और कृष्ण जन्माष्टमी इस मंदिर के प्रमुख त्यौहार है. इस दिन मंदिर को फूलों और जगमग लाइट्स से सजाया जाता है. मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं को नए कपड़े और जेवर पहनाएं जाते हैं. आरती के बाद, 56 प्रकार के व्यंजन का भोग लगाया जाता है. राधा रानी मंदिर के अंदर बरसाना होली उत्सव, राधाष्टमी और जन्माष्टमी के अलावा, लट्ठमार होली भी मंदिर के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. लट्ठमार होली खेलने के लिए इस मंदिर में भक्त दूर-दूर से आते हैं.
By- कविता सक्सेना श्रीवास्तव