पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के गवर्नर्स ने शुक्रवार को बीसीसीई के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए हरी झंडी दिखा दी है।पीसीबी भारत के खिलाफ यह कदम साल 2014 में दोनों देशों के क्रिकेट बोर्ड के बीच द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेलने के कारण उठाएगा।

कराची में पीसीबी बोर्ड ऑफ गवर्नर की मीटिंग के बाद बोर्ड के अध्यक्ष शहरयार खान और एग्जीक्यूटिव कमेटी के अध्यक्ष नजम सेठी ने मीडिया को बताया कि भारत ने दोनों देशों के क्रिकेट बोर्ड के बीच हुए समझौते की अवमानना की है। एमओयू के अनुरूप द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेलने के कारण पासीबी के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने बीसीसीआई के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की अनुमति शुक्रवार को दे दी है। ऐसा करके पीसीबी को हुए वित्तीय नुकसान की भरपाई बीसीसीई से मुआवजा लेकर की जा सकेगी। शहरयार खान ने आगे कहा कि भारत और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के बीच हस्ताक्षर किए गए एमओयू के अनुरूप दोनों देशों के बीच साल 2015 से 2022 के बीच छह द्विपक्षीय क्रिकेट सीरीज खेली जानी थी। इसलिए अब बोर्ड ऑफ गवर्नर द्वारा अनुमति मिलने के बाद हम सलाह मश्विरा कर बीसीसीआई के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे।
उन्होंने कहा आईसीसी इस एमओयू की गवाह है। पीसीबी ने अब तक इस मामले में संयम बरता लेकिन अब हमारे सब्र का बांध टूट गया है। एमओयू के अनुसार अब तक हम दोनों देशों के बीच दो सीरीज की मेजबानी कर चुके होते जिससे हमें अरबों रुपये की आय होती। लेकिन बीसीसीआई एमओयू की अवमानना कर रहा है ऐसे में हमें बहुत वित्तीय नुकसान उठाना पड़ रहा है। गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच साल 2007 से अब तक किसी तरह की द्विपक्षीय क्रिकेट सीरीज का आयोजन नहीं हुआ है। तब पाकिस्तान ने भारत का दौरा किया था।
इस साल जनवरी में पाकिस्तान ने श्रीलंका में एकदिवसीय सीरीज की मेजबानी की इच्छा जताई थी। लेकिन भारत यह कहकर मुकर गया था कि सरकार की तरफ से उनके पास सीरीज खेलने की अनुमति नहीं है। इस पर खान का कहना है कि यदि बीसीसीआई दोनों देशों के बीच सीरीज के आयोजन के लिए सरकार पर निर्भर है तो उन्हें इस बारे में एमओयू पर हस्ताक्षर करने से पहले सोचना चाहिए था।
अब पीसीबी इस मामले को आईसीसी में उठाएगा। क्योंकि भारत का कहना है कि उनकी सरकार ने उन्हें हमारे साथ खेलने के लिए रोक लगा रखी है। हमारे पास एमओयू में लिखी बातों का समर्थन है। हम उनकी सरकार का मत लिखित में चाहते हैं। यह बड़े खेद का विषय है कि बीसीसीआई ने लिखित समझौते का सम्मान नहीं किया।