B'day Spl: मां के रोल के लिए याद की जाती है ये एक्ट्रेस, जानिए ये खास बातें...

B’day Spl: मां के रोल के लिए याद की जाती है ये एक्ट्रेस, जानिए ये खास बातें…

फिल्मों में मां, सास और क्यूट दादी के किरदार से लोगों के दिलों में बसने वाली एक्ट्रेस दीना पाठक का जन्म गुजरात के अमरेली में 4 मार्च, 1922 को हुआ था। दीना पाठक बॉलीवुड की उन एक्टर्स में से हैं जो अपनी एक्टिंग की काबिलियत से कई बड़े-बड़े लोगों को पीछे छोड़ दिया। फिल्मों में उन्हें देख ऐसे लगता था कि पड़ोस में ही रहने वाली कोई बुजुर्ग महिला है या फिर अपनी ही दादी हैं। B'day Spl: मां के रोल के लिए याद की जाती है ये एक्ट्रेस, जानिए ये खास बातें...

दीना पाठक स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान काफी सक्रिय थीं। आलम ये था कि बम्बई की सेंट जेवीयर्स कॉलेज ने उन्हें निकाल दिया था। मार्च 1979 के ‘फिल्मफेयर’ में दीना पाठक ने बताया कि, कॉलेज से बाहर निकाले जाने के बाद उन्होंने दूसरे कॉलेज में पढ़ाई कर अपनी बी.ए. की डिग्री ली। 

दीना की शादी बलदेव पाठक से हुई। वो मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया पर अपोलो बंडर के पास कपड़े सिलने की दुकान चलाते थे। बलदेव पाठक राजेश खन्ना और दिलीप कुमार के कपड़े डिजाइन करते थे। उन्होंने ही राजेश खन्ना का गुरु कुर्ता और ऐसे अन्य कपड़े डिजाइन किए थे। वो अपने आप को इंडिया का पहला डिजाइनर कहते थे हालांकि राजेश खन्ना की फिल्मों के करियर में जब गिरावट होनी शुरू हुई तो बलदेव की दुकान पर भी असर पड़ा। बाद में उन्हें अपनी दुकान बंद करनी पड़ी और 52 साल की उम्र में दीना पाठक के पति का निधन हो गया।

दीना पाठक की बड़ी बेटी रत्ना पाठक शाह और छोटी बेटी सुप्रिया पाठक आज एक्टिंग की दुनिया में जाना-पहचाना नाम हैं। रत्ना की शादी नसीरुद्दीन शाह से हुई और सुप्रिया की पंकज कपूर से। दीना पाठक ने 120 से ज्यादा फिल्मों में काम किया और उनका अभिनय करियर 60 साल लंबा था। फिल्मों के साथ-साथ वो गुजराती थियेटर में भी काफी सक्रिय थीं।

उन्हीं के प्रभाव के चलते दीना पाठक की दोनों बेटियां रत्ना और सुप्रिया थियेटर में आईं। बड़ी बेटी रत्ना और दीना पहले बहुत लड़ते-झगड़ते थे। रत्ना कहती हैं कि, ‘बाद में हमारा रिश्ता अलग तरीके का हो गया। हम दोस्त बन गईं। मैं मां से किसी भी विषय पर बात कर सकती थी। जब वो हमें छोड़कर गई तो मेरी प्यारी दोस्त बन गई थीं।’

दीना पाठक के यादगार रोल में ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म ‘गोलमाल’ (1979) जिसमें वे रामप्रसाद/लक्ष्मणप्रसाद की नकली मां बनती हैं। अगले साल आई फिल्म ‘खूबसूरत’ में वो गुप्ता परिवार की कड़क मुखिया निर्मला गुप्ता बनी थीं। गुलजार की फिल्म ‘मीरा’ (1979) में उन्होंने राजा बीरमदेव की रानी कुंवरबाई का रोल किया। गोविंद निहलानी की सीरीज ‘तमस’ (1988) में बंतो की भूमिका की। ऐसी और भी बहुत सी फिल्में हैं जिसमें दीना पाठक ने अपनी अलग छाप छोड़ी। 11 अक्टूबर, 2002 को उनकी मृत्यु हो गई थी उस वक्त वो 80 साल की थीं।

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