इस बार पितृ पक्ष छह से 20 सितंबर तक हैं। इस अवसर पर सूर्यदेव कन्या राशी पर स्थित होते हैं व चन्द्रमा भी पृथ्वी के काफी निकट रहते हैं। चन्द्रमा के थोड़ा ऊपर ही पितृलौक माना गया है। सूर्य रश्मियों पर सवार होकर पितृ पृथ्वी लौक में अपने पुत्र पौत्रों के यहां आते हैं। #बड़ी खुशखबरी: SBI ने अपने ग्राहकों के लिए शुरु किया एक नया एकाउंट, जानिए क्या है खास सुविधाएं
मान्यता है कि सच्चे मन, धन और श्रद्धा से किया गया पितृ कर्म वंश को खुशहाली देता है। इस बार चतुर्दशी एवं अमावस्या का श्राद्ध 19 सितंबर को किया जाएगा। 20 सितंबर को स्नान, दान एवं पितृ विसर्जन गंगा घाटों पर किया जाएगा।
पंडित दीपक पांडेय ने बताया कि बेहतर होगा कि छत पर मिट्टी के बर्तन में कौओं के लिए पानी भर कर रख दें। पिंडदान कुश पर रखकर अर्पित करें। 20 सितंबर को गंगा घाटों पर पितरों का विसर्जन किया जाएगा।
-परिवार में जिन पूर्वजों की मृत्यु का दिन, तारीख या तिथि पता न हो, उनकी और अकाल मृत्यु प्राप्त करने वाले पूर्वजों का श्राद्ध कर्म अमावस्या और पूर्णिमा के दिन कर सकते हैं।
-जल अर्पण के साथ भोजन में काले तिल का उपयोग अवश्य करें। पंडित को साफ आसन पर मौन होकर भोजन परोसें। मेज-कुर्सी का उपयोग न करें।
विशेष तिथियां
6 सितंबर को प्रतिपदा का श्राद्ध 14 सितंबर को-मातृ नवमी (माता की मृृत्यु की तिथि ज्ञात न होने पर श्राद्ध का विधान) 19 सितंबर को-पितृ अमावस्या (मृतक की तिथि ज्ञात न हो)