पंजशीर पर कब्जे का सपना देख रहे तालिबान को बड़ा झटका

कुछ वरिष्ठ कमांडरों के साथ कई अन्य तालिबान लड़ाके अब अपनी जान बचाने की लड़ाई लड़ रहे पंजशीर में फंस गए हैं। वहीं बागलान में तालिबानी 30 से ज्यादा हथियारबंद वाहन, लैंडमाइन और हथियार छोड़कर काबुल भाग गए हैं।

इससे पहले तालिबान ने कहा है कि उनके सैकड़ों लड़ाके पंजशीर घाटी की ओर जा रहे हैं, जो वर्तमान में युद्ध से तबाह अफगानिस्तान में विरोध का केंद्र है। जबकि नेशनल रेसिस्टेंस फ्रंट के अहमद मसूद ने कहा है कि वह कट्टरपंथी इस्लामी समूह के साथ बातचीत करना चाहते हैं, लेकिन उनकी सेनाएं लड़ने के लिए तैयार हैं।

तालिबान के अलेमराह ट्विटर फीड ने कहा कि सैकड़ों लड़ाके पंजशीर की ओर जा रहे थे, स्थानीय राज्य के अधिकारियों ने इसे शांतिपूर्वक सौंपने से इनकार कर दिया है।

यह ट्वीट 14 सेकंड की एक वीडियो क्लिप के साथ आया, जिसमें एक राजमार्ग पर सफेद तालिबान के झंडे के साथ ट्रकों की एक लंबी लाइन दिखाई गई है।

                                                                                            1980 के दशक में अफगानिस्तान के सोवियत विरोधी प्रतिरोध के प्रमुख नेताओं में से एक अहमद शाह मसूद के बेटे मसूद ने कहा कि अगर तालिबान ने पंजशीर घाटी पर आक्रमण करने की कोशिश की तो उनके समर्थक लड़ने के लिए तैयार थे।

उन्होंने काबुल के उत्तर-पश्चिम में पंजशीर घाटी में अपने गढ़ से टेलीफोन द्वारा रॉयटर्स को बताया, “हम तालिबान को यह एहसास दिलाना चाहते हैं कि बातचीत के जरिए ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है। हम नहीं चाहते कि युद्ध छिड़ जाए।”

मसूद और देश के उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने नियमित सेना इकाइयों और विशेष बलों के साथ-साथ स्थानीय मिलिशिया सेनानियों से बनी सेना को इकट्ठा किया है।

उन्होंने रायटर को बताया, “वे बचाव करना चाहते हैं, वे लड़ना चाहते हैं, वे किसी भी अधिनायकवादी शासन के खिलाफ विरोध करना चाहते हैं।”

 

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