नई दिल्ली: सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी अहम की लड़ाई पर केंद्र सरकार ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। केंद्र सरकार ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा से न केवल उनके सभी अधिकार छीन लिए हैं।
बल्कि देर रात आदेश जारी कर एम नागेश्वर राव को सीबीआई का नया अंतरिम निदेशक नियुक्त कर दिया है। वर्तमान समय में एम नागेश्वर राव सीबीआई में ही संयुक्त निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। सरकार के इस फैसले के बाद सीबीआई हेडक्वार्टर स्थित आलोक वर्मा के और राकेश अस्थाना के ऑफिस को सील कर दिया गया है।
वहां न तो सीबीआई कर्मियों और न ही बाहरी लोगों को जाने की इजाजत दी जा रही है क्योंकि अधिकारियों की एक टीम इमारत में है। देश की इस शीर्ष जांच एजेंसी के इतिहास में यह पहला ऐसा मामला है। इस आदेश का मतलब यह है कि सरकार ने सीबीआई के पदानुक्रम में संयुक्त निदेशक से वरिष्ठ स्तर यानी अतिरिक्त निदेशक रैंक के तीन अधिकारियों को दरकिनार कर नागेश्वर राव को एजेंसी के निदेशक का प्रभार दिया।
जिन तीन अतिरिक्त निदेशकों को दरकिनार किया गया है उनमें ए के शर्मा भी शामिल हैं। अस्थाना की ओर से की गई शिकायत में शर्मा का नाम सामने आया था। वर्तमान समय में एम नागेश्वर राव सीबीआई में ही संयुक्त निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। इसके अलावाए सीबीआई में कार्यरत अतिरिक्त निदेशक पॉलिसी अरुण शर्मा और डीआईजी मनीष कुमार सिन्हा के खिलाफ भी कार्रवाई कर छुट्टी पर भेज दिया गया है।
इतना ही नहीं सीबीआई हेडक्वाटर्स का 10वां और 11वां फ्लोर सील कर दिया गया है। मुख्यालय के 11वें फ्लोर में सीबीआई निदेशक का दफ्तर है। मालूम हो कि सीबीआई के दो बड़े अधिकारियों के बीच मचा घमासान अब अदालत की दहलीज पर पहुंच गया है और मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह एजेंसी के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही में यथास्थिति बरकरार रखे जबकि एक निचली अदालत ने घूस लेने के आरोप में गिरफ्तार किये गए एजेंसी के डीएसपी देवेंद्र सिंह को सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया।
अदालत में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा कि अस्थाना और देवेंद्र सिंह के खिलाफ जबरन वसूली और जालसाजी के आरोप जोड़े गए हैं। कुमार को कथित तौर पर घूस लेने, रिकॉर्ड में हेरफेर के मामले में सोमवार को गिरफ्तार किया गया था। अस्थाना और उनके बॉस सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा से जुड़े इस हाईवोल्टेज ड्रामा ने कांग्रेस और विपक्षी दलों को सरकार पर निशाना साधने का मौका दे दिया। विपक्षी दलों ने केंद्र पर देश की संस्थाओं को बर्बाद करने का आरोप लगाया।