लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बहराइच जनपद स्थित बैंक आफ बड़ौदा की एटीएम मशीनों में छेड़छाड़ कर लाखों रुपये गायब करने वाले दो जालसाजों को एसटीएफ ने पालीटेक्निक चौराहे से गिरफ्तार किया। पकड़े गये आरोपियों के पास से 25.52 लाख रुपये भी मिले। एसटीएफ के हत्थे चढ़े दोनों आरोपी एटीएम मशीन में रुपये लोड करने वाली कम्पनी के ही कर्मचारी हैं।
एसएसपी एटीएफ अभिषेक सिंह ने बताया कि कुछ दिन पहले एटीएम मशीनों में रुपये लोड करने वाली कम्पनी सीक्योर वैल्यू इण्डिया के लखनऊ शाखा प्रबंधक आशीष मिश्र ने इस बात की शिकायत एसटीएफ से की थी कि बहराइच जनपद में बैंक आफ बड़ौदा के एटीएम मशीनों के साफ्टवेयर से छेडख़ानी कर उनकी ही कम्पनी के कस्टोडियनों ने अब तक 35 लाख रुपये की हेराफेरी की है।
इस शिकायत पर काम करते हुए एसटीएफ साइबर थाने में एफआईआर दज्र की। छानबीन के दौरान एसटीएफ को इस बात का पता चला कि सीक्योर वैल्यू इण्डिया कम्पनी के दो कस्टोडियन श्रावस्ती निवासी आशीष कुमार जायसवाल और फैजाबाद जनपद निवासी अंकुर श्रीवास्तव इस धोखाधड़ी में शामिल हैं। गुरुवार को एसटीएफ को पता चला कि दोनों आरोपी ठगी की रकम से लखनऊ में प्लाट खरीदने के लिए आने वाले हैं।
बस इसी सूचना पर एसटीएफ की टीम पहले से ही पालीटेक्निक चौराहे पहुंच गयी और घेराबंदी करते हुए दोनों कस्टोडियनों आशीष और अंकुर को धर दबोचा। आरोपियों के पास से एसटीएम ने ठगे गये 25.52 लाख रुपये, एटीएम कार्ड, मोबाइल फोन, डीएम और आधार कार्ड बरामद किया। आरोपियों ने अब तक एटीएम मशीनों से करोड़ों रुपये चोरी करने की बात कुबूली है।
इस तरह एटीएम से चोरी करते थे रुपये
पूछताछ में पकड़े गये आरोपियों ने बताया कि कि लगभग एक वर्ष से सीक्योर वैल्यू इण्डिया लिमिटेड नामक कम्पनी जो विभिन्न बैंकों के एटीएम में कैश लोड करने का काम करती है, उसमें वह लोग कस्टोडियन के पद पर काम करते हैं। सीक्योर वैल्यू इण्डिया लिमिटेड के पास एटीएम मशीनों में कैश लोड करने का सीधा टेण्डर
नहीं हैं, बल्कि वह एजीएस ट्रान्जेेक्ट टेक्नोलाजी नाम की दूसरी कम्पनी के माध्यम से काम करती है। कस्टोडियन के पद पर सीक्योर वैल्यू में नियुक्त किये गये कर्मचारियों के नाम, पता, फोटो व प्रमाणित हस्ताक्षर एजीएस के माध्यम से बैंक को भेजा जाता है। कम्पनी से उस कर्मचारी का पहचान पत्र भी जारी किया जाता है। सीक्योर वैल्यू इण्डिया लिमिटेड को एजीएस के माध्यम से बैंक से मेल द्वारा अवगत कराया जाता है कि किस तिथि को बैंक के करेंसी चेस्ट से कस्टोडियन ने कितना पैसा विडड्राल किया जायेगा तथा किस-किस एटीएम में कितना पैसा अपलोड किया जायेगा। एटीएम मशीनों की देखरेख व रिपेयर की जिम्मेदारी एनसीआर कम्पनी के फैजल खान नाम के कर्मचारी की है। उसके पास एटीएम मशीन को खोलने का यूजर नेम व पासवर्ड रहता है, जिसके माध्यम से एटीएम मशीनों के इलेक्ट्रानिक जनरल यानि इजे तक पहुॅचा जा सकता है। ईजे लाग में एटीएम मशीन के माध्यम से किये गये प्रत्येक ट्रान्जेक्शन की ट्रैक लिस्ट तैयार होती रहती है। एटीएम मशीन में किसी भी प्रकार का कीबोर्ड, यूएसबी डिवाइस व पेन ड्राईव कनेक्ट करना नियम के खिलाफ है। एटीएम मशीनों में अक्सर खराबी की समस्या के कारण अपनी सुविधा के लिए इन्जीनियर फैजल खा ने हमको यूजर आईडी व पासवर्ड दे दिया था, जिससे छोटी मोटी खराबियों का समाधान हम लोग कर भी देते थे। इसी यूजर आईडी व पासवर्ड का गलत प्रयोग कर आरोपियों ने एटीएम मशीनों के ईजे लाग तक पहुॅचे और मैनुअल की बोर्ड की मदद से ईजे लाग के डेटा को अपनी सुविधा अनुसार एडिट कर उसे पेन ड्राईव में कापी कर लिया। इसके बाद आरोपी ईजे लाग में डिस्पेन्स को बढ़ाकर दिखाया गया। आरोपियों ने बताया कि जैसे विभिन्न ट्रान्जेक्शन के माध्यम से एटीएम मषीन से पचास हजार रूपये डिस्पेन्स किये गये तो उस राशि को एडिट कर 5 लाख कर दिया जाता था। इसके बाद आरोपी बढ़ायी गयी राशि यानि साढ़े चार लाख रुपये निकाल लिया करते थे। पेन ड्राईव में कापी किये गये ईजे लाग की प्रिन्ट आउट किसी अन्य प्रिन्टर से प्रिन्ट कर कम्पनी को दे दिया जाता था। जिसे कम्पनी के माध्मय से बैंक को भेजा गया।
इस तरह पकड़ी गयी चोरी
इजे लाग में की गयी किसी प्रकार की एडिटिंग को सेव किया जाना सम्भव नहीं है, इस कारण बैंक के डेटाबेस को वास्तविक डेटा ही दिखता था। कम्पनी ने बैंक को भेजी गयी कउन्टर स्लीप व बैंक के डेटावेस में ईजे लॉग में अंकित टान्जेक्शन में तालमेल न होने के कारण बैंक ने हेराफेरी को पकड़ा और रुपये लोड करने वाली कम्पनी को हेराफेरी हुए रुपये जमा करने के लिए कहा गया। इस तरह कम्पनी ने जब छानबीन करायी तो इस चोरी का पता चला।