लखनऊ: मिलावटी खून का कारोबार करने वाले गैंग का पर्दाफाश करते हुए यूपी एसटीएफ ने 5 लोगों को बीती रात गिरफ्तार किया। खून के कारोबारियों का यह गैंग नशेडिय़ों और पेशेवर डोनर से खून लेकर उसमें सेलाइन वॉटर मिलाकर लोगों को महंग दामों में बेचते था। पकड़े गये आरोपियों ने दो बीएनके ब्लड बैंक के कर्मचारी भी शामिल हैं। एसटीएफ ने आरोपियों के पास से आठ यूनिट असुरक्षित खून, कुछ पेपर और मशीनें बरामद की हैं।
एसएसपी एटीएफ अभिषेक सिंह ने बताया कि कुछ दिनों से एसटीएफ को इस बात की शिकायत मिली रही थी कि लखनऊ में अवैध ढंग से खून का कारोबार चल रहा है। इस धंधे में असुरक्षित खून मरीजों के तीमारदारों को महंगे दाम में बेच जा रहा है। लम्बी छानबीन और सबूत जमा करने के बाद बीती रात यूपी एसटीएफ ने हसनगंज निवासी मोहम्मद नसीम को गिरफ्तार किया।
आरोपी नसीम अपने घर से अवैध रूप से ब्लड बैंक संचालित कर रहा था। पूछताछ की गयी तो नसीम ने इस गोरखधंध में जुड़े अपने चार साथियों के नाम एसटीएफ को बताये। इसके बाद एसटीएफ ने उसके चार साथियों सआदतगंज निवासी राशिद अली, बाराबंकी निवासी राघवेन्द्र प्रताप सिंह, त्रिवेणीनगर निवासी पंकज कुमार सिंह और महानगर निवासी हनी निगम को गिरफ्तार किया। एसटीएफ ने आरोपियों के पास से आठ यूनिट असुरक्षित खून और खून निकालने के लिए प्रयोग होने वाला सामान और दस्तावेज बरामद किये।
सेलाइन वाटर मिलकर एक यूनिट को दो यूनिट बनाते थे
इस गैंग का लीडर नसीम है। उसने बताया कि वह लोग पेशेवर डोनरों से एक यूनिट खून कुछ रुपये में खरीदे थे। इसके बाद एक यूनिट निकाले गये खून में सेलाइन वाटर मिलाकर उसको दो यूनिट बना देते थे। आरोपी एक यूनिट खून 2 हजार से लेकर 3 हजार रुपये में बेचते थे। आरोपी राशिद खून देने वालों का बंदोबस्त करता था और फिर मिलावटी खून भी बेचता था। वहीं आरोपी राघवेन्द्र प्रताप सिंह बीएनके ब्लड बैंक में लैब टैक्नीशियन का काम करता है और ब्लड पैकेट सप्लाई करने का काम करता था। वहीं पंकज कुमार बीएनके ब्लड बैंक में लैब अटेंडेंट है और वह प्रोफेशनल डोनर से ब्लड निकाल कर नसीम को सप्लाई करता है। इसके अलावा हनी निगम ब्लक बैंक के जाली स्टीकर एवं अन्य पेपर प्रिंट करा कर तैयार करता है साथ ही ब्लड निकालना एवं ब्लड डोनर का इंतजाम करता है।
बिना कोई जांच निकाले थे खून
किसी भी व्यक्ति का खून निकालने से पहले उसका एचआईवी, हेपिटाइटिस बी, हेपिटाइटिस सी वायरस वीडीआरएल, मलेरियल पैरासाइट जैसे कई टेस्ट किये जाते हैं। खून के यह गैंग इस तरह के कोई टेस्ट नहीं करते थे। वह लोग पेशेवर डोनरों से बिना जांच के ही खून ले लिया करते थे। बिना जांच के मरीजा को किसी का खून चढऩा संक्रमण को बढ़ावा देना होता है।
मिलावटी खून से इन बीमारियों का भी खतरा
खून से काला कारोबार करने वाले आरोपी जिस तरह सेलाइन वाटर मिलाकर एक यूनिट को दो और तीन यूनिट बनाते थे, उससे मरीजा की जान को खतरा भी होता है। बताया जाता है कि सलाइन वॉटर को मिलाकर ब्लड का वॉल्यूम बढ़ाने से उसके अंदर उपस्थित आरबीसी ब्रोकन मतलब haemolysed हो सकती है। जिससे पेशेंट को फीवर,चिल्स और tachycardia हो सकता है जो उसके जीवन के लिए घातक है।
पहले भी पकड़ा गया फर्जी ब्लड बैंक
राजधानी में पहले भी पकड़ा गया फर्जी ब्लड बैंक यह कोई पहली बार नहीं है, राजधानी में पहले भी कई बार मिलावटी खून का धंधा करने वालों को पकड़ा जा चुका है। वर्ष 2009 में चौक पुलिस ने सबसे बड़े रैकेट का भंड़ाफोड़ करते हुए कई लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया था। उक्त गैंग भी इस तरह नशेडिय़ों और पेशेवर डोनर से बिना किसी जांच पड़ताल के खून लेकर जरुरतमंदों को ऊंचे दाम में बेचते थे। वहीं बीते वर्ष 7 जुलाई को भी ठाकुरगंज पुलिस ने शीबू नाम एक व्यक्ति को मिलावटी खून बेचने के मामले मेें गिरफ्तार किया था।