लखनऊ: अब यूपी सरकार प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाने की तैयारी कर रही है। जल्द ही इन स्कूलों की मनमानी बंद हो जायेगी। इन स्कूलों में की अपनी व्यवस्था कभी-कभी प्रशासनिक आदेशों की भी अनदेखी करती रही है। जिला विद्यालय निरीक्षकों का भी इन स्कूलों पर कुछ खास नियंत्रण नहीं रह पाता।

प्रदेश में मिशनरी स्कूलों की बड़ी संख्या है, जहां प्रवेश के लिए लंबी कतारें लगती रही हैं। राज्य के सरकारी स्कूलों के गिरते स्तर ने इन्हें विशिष्ट बना रखा है। अंग्रेजों ने देश छोडऩे से पहले इनके लिए कोड बनाया था और ये इसी के हिसाब से संचालित होते हैं।
इलाहाबाद और लखनऊ के ऐसे स्कूलों में मनमाने कार्यक्रम भी चलते रहे हैं जिनमें अनिच्छा के बावजूद छात्रों को शामिल होना पड़ता है। चूंकि अधिकांश स्कूलों को अल्पसंख्यक दर्जा हासिल है, इसलिए संविधान में इन्हें अपनी मर्जी से प्रवेश और फीस निर्धारण का अधिकार भी हासिल है।
इसका लाभ उन्हें मिलता रहा है, लेकिन ड्राफ्ट में शामिल किए गए ऐच्छिक फीस के नियम ऐसे स्कूलों में कार्यक्रमों के नाम पर आयेदिन वसूली को नियंत्रित करेंगे।
सिर्फ वही छात्र इसके लिए फीस देने को बाध्य होंगे, जिन्होंने कार्यक्रम में भागीदारी की है। डेवलपमेंट फीस के नाम पर भी मनमानी वसूली नहीं की जा सकेगी। सरकार ने इन स्कूलों के निरीक्षण के लिए कुछ नगरों में जिला विद्यालय निरीक्षक स्तर के अधिकारी नियुक्त हैं।
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