लखनऊ: राम मंदिर मामले में आम सहमति बनाने के लिए ऑर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरू श्रीश्री रविशंकर बुधवार को लखनऊ पहुंचे। उन्होंने सुबह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। कुछ देर बाद पंडित अमरनाथ मिश्र के आवास पर कुछ मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों से रामजन्मभूमि व बाबरी मस्जिद के मुद्दे पर चर्चा करेंगे।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद के पटाक्षेप में लगे आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर के आड़े तमाम चुनौतियां हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघए विश्व हिन्दू परिषद और राम मंदिर न्यास के पदाधिकारी भी अभी श्री श्री की मुहिम पर निगाह गड़ाए बैठे हैं। राम मंदिर निर्माण के लिए बाबरी मस्जिद विवादित ढांचा विध्वंस में आरोपी बनाए गए सूत्र के अनुसार अभी सब कुछ भविष्य की गर्त में है।
डा राम विलास वेदांती का भी कहना है कि राम मंदिर निर्माण की दिशा में कोई भी आम सहमति बनने की स्थिति आने से पहले आयोध्या तथा राम मंदिर आंदोलन से जुड़े साधु संतों को विश्वास में लेना होगा। बजरंग दल के संस्थापक अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद विनय कटियार ने कहा कि मुकदमा अदालत में चल रहा है। अदालत से जो भी निर्णय आएगाए उसका मान रखेंगे।
इसलिए सभी पक्षकारों या लोगों को चाहिए कि वह अदालत में शपथ.पत्र के साथ अपनी बात रखें। विनय कटियार ने कहा कि कोई भी समझौता तीन शर्तों के साथ ही हो सकता है। पहला राम मंदिर अयोध्या में अपने स्थान पर बनेगा। दूसरी शर्त यह है कि राम मंदिर की जमीन बंटने नहीं देंगे। राम मंदिर की भूमि का टुकड़ा होना हमें स्वीकार्य नहीं है। श्री श्री के प्रस्तावए प्रयास के बारे में पूछे जाने पर कटियार ने कहा कि उनके प्रयास का स्वागत हैए लेकिन निर्णय तो अदालत से आना है।
जब उच्चतम न्यायालय अपना फैसला सुनाएगा तब देखेंगे। विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि श्री श्री रविशंकर या कोई भी देश का नागरिक राष्ट्र से जुड़ी समस्याओं में अपना योगदान दे सकता है। उसका प्रयास हमेशा स्वागत योग्य है। रहा सवाल मंदिर निर्माण का तो वह होगा। श्री श्री के प्रयास के बारे में पूछे जाने पर चंपत राय ने कहा कि उन्हें नहीं पता रविशंकर के पास कौन सा समाधान है वह जिनसे मिल रहे हैं राय शुमारी कर रहे हैं। वह कौन लोग हैं,उनकी कानूनी स्थिति क्या है?