लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कासगंज में चंद रोज पहले हुए दंगे को लेकर राज्यपाल ने इसको यूपी कलंक बताया था। अब इस दंगे को लेकर एक और चौकाने वाला खुलासा हुआ है। यह खुलासा पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी ने किया है। उन्होंने हिंदूवादी संगठन दंगा भड़काने की साजिश कर रहे हैं। यह हिंसा पूर्व नियोजित थी।
पूर्व आईजी दारापुर ने सोमवार को लखनऊ प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उसके साथ जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष मोहित पाण्डेय और फैक्ट फाइंडिंग टीम के सदस्य मौजूद थे। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी की दंगा भड़काने की नीति पहले से रही है इसीलिए हिंदूवादी संगठन इस हिंसा को और भड़का रहे हैं।
सोमवार को भी कुछ इलाकों में आगजनी की घटना प्रकाश में आई। कासगंज में पुलिस एक तरफा कार्रवाई कर रही है। पूर्व आईपीएस ने घटना की न्यायिक सीबीआई जांच करवाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि फैक्ट फाइंडिंग टीम की जांच में पता चला कि 26 जनवरी को कासगंज में अनुमति लेकर एक कार्यक्रम का आयोजन किया था।
इस दौरान मोटरसाइकिल पर सवार हिंदू वाहिनी के कार्यकर्ता पहुंचे और उसी रास्ते से निकलने के लिए बवाल करने लगे। यहां उनकी बाइक छूट गई। उस जगह कोई पथराव नहीं हुआ। इसके 14 घंटे बाद चंदन के भाई की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। तहरीर में आरोप लगाया गया कि स्कूल के सामने सलीम का घर है।
वहां से गोली चलाई गई जो चंदन गुप्ता को लगी और पथराव में वह घायल हो गए। दारापुरी ने कहा जिस जगह पर घटना हुई थी वहां से सलीम का घर 80 फुट की दूरी पर है। अगर सलीम के घर से गोली चलाई गई होती तो चंदन के शरीर पर गहरा घाव नहीं होता और न ही जले का निशान होता।
उन्होंने कहा कि अगर किसी को पास से गोली मारी जाती है तभी काला निशान पड़ता है। इससे यह कहा जा सकता है कि चंदन को भीड़ में ही फायरिंग कर रहे उनके साथी की ही गोली लगी होगी हालांकि यह जांच का विषय है। आरोप लगाया कि कासगंज हिंसा में पुलिस एकतरफा कार्रवाई कर रही है। असलहे दिखा कर एक ही समुदाय के लोगों की गिरफ्तारी की जा रही है।