केरल: केरल के कोझिकोड जिले में निफा वायरस के कारण तीन लोगों की मौत की खबर है। इसके बाद केंद्रीय मंत्री जे पी नड्डा ने रविवार को राज्य सरकार की सहायता के लिए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र यानि एनसीडीसी के निदेशक को निर्देश दिया। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश के बाद स्थिति की निगरानी के लिए एक केंद्रीय टीम राज्य का दौरा करेगी।
नड्डा ने एक ट्वीट में कहा कि स्वास्थ्य सचिव के साथ केरल में निफा वायरस से जुड़ी मौतों की स्थिति की समीक्षा की है। मैंने निदेशक एनसीडीसी को जिले का दौरा करने और प्रोटोकॉल के तहत राज्य सरकार से परामर्श कर बीमारी की रोकथाम के लिए जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया है। तेज बुखार के बाद कालीकट जिले में नौ लोगों की मौत हो गई है।
स्वास्थ्य विभाग ने पुष्टि की कि मृतक नौ लोगों में से दो निफा वायरस से संक्रमित थे। अन्य मृतकों के नमूने परीक्षण के लिए भेजे गए हैं। जिला कलेक्टर यू वी जोस ने एक टास्क फोर्स का गठन किया है। केरल के स्वास्थ्य मंत्री केके शैलाजा ने निफा वायरस के कारण तीन मौतों की पुष्टि की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ के अनुसार इंसानों में निफा वायरस एनआईवी संक्रमण के बहुत सारे लक्षण हैं।
जिसमें एसिम्प्टोमैटिक संक्रमण से लेकर तीव्र सांस संबंधी सिंड्रोम और जानलेवा एन्सेफलाइटिस शामिल हैं। कोझिकोड स्वास्थ्य विभाग वायरस के कारण होने वाली तीन मौतों के बाद स्थिति की निगरानी कर रहा है। कथित तौर पर मृतक के संपर्क में रहने वाले दो और लोगों की स्थिति गंभीर बनी हुई है।
इससे पहले रविवार को लोकसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुल्लाप्पल्ली रामचंद्रन ने कोझिकोड के कुछ हिस्सों में दुर्लभ और घातक वायरस के फैलने के लिए केंद्र सरकार के हस्तक्षेप की मांग की थी। नड्डा को लिखी चि_ी में रामचंद्रन ने कहा कि उनके लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र वटकारा में कुट्टीयादी और पेरामंबरा समेत कुछ पंचायतें इस वायरस की चपेट में हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ डॉक्टरों ने इसे निफा वायरस बताया जबकि अन्य डॉक्टरों के मुताबिक यह जूनोटिक है और यह बहुत जल्दी फैलता है और जानलेवा है। उन्होंने चि_ी में कहा कि बताया जा रहा कि इस वायरस से हुई बीमारी में मौत की दर 70 प्रतिशत है। इस बीमारी को फैलाने से रोकने जरूरत है। एनआईवी सूअरों और अन्य घरेलू जानवरों को भी बीमार करने में सक्षम है। डब्ल्यूएचओ ने अपनी वेबसाइट पर कहा है कि इस बीमारी की चपेट में आए इंसानों को प्राथमिक उपचार के लिए गहन चिकित्सकीय देखभाल की जरूरत होती है।