नई दिल्ली: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी काफी लंबे समय से बीमार हैं। सोमवार को उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया। जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ ही बहुत से दूसरे नेता उन्हें देखने के लिए अस्पताल पहुंचे। वाजपेयी लगभग 2009 से बिस्तर पर हैं। उन्हें चलने फिरने और बोलने में काफी दिक्कत होती है। उन्हें निचले श्वसन तंत्र का संक्रमण और किडनी से संबंधित बीमारी है।
एम्स द्वारा देर रात जारी किए गए बयान में कहा गया कि पूर्व प्रधानमंत्री को यूरिन का संक्रमण है। जिसके लिए उन्हें उचित उपचार दिया जा रहा है और 12 डॉक्टरों की एक टीम लगातार उनकी सेहत पर नजर बनाए हुए है। थोड़ी देर में उनका मेडिकल बुलेटिन जारी किया जाएगा। उनकी एक किडनी और फेफड़े क्षमता से कम काम कर रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि मेडिकल जांच के दौरान पूर्व पीएम वाजपेयी में कमजोरी ज्यादा देखने को मिली है। हालांकि एम्स की मीडिया और प्रोटोकॉल डिविजन की अध्यक्ष आरती विज ने कहा, पूर्व प्रधानमंत्री को रूटीन चेकअप के लिए भर्ती कराया गया है। उनकी हालत स्थिर है। 93 साल के वाजपेयी एम्स निदेशक रणदीप गुलेरिया की देखरेख में हैं जो पिछले 15 सालों से उनका इलाज कर रहे हैं।
अटल बिहारी जोकि डायबिटिज से पीडि़त हैं उनकी केवल एक किडनी काम करती है। उन्हें साल 2009 में स्ट्रोक आया था जिसने उनकी ज्ञान संबंधी क्षमताओं को प्रभावित किया था। इसके बाद उन्हें डिमेनटिया नामक बिमारी हो गई। एम्स के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि पूर्व पीएम की उम्र और बीमारी दोनों की वजह से वीकनेस हो सकती है इसमें कोई दोराय नहीं।
हालांकि उन्होंने ये भी जानकारी दी है कि मंगलवार शाम तक वाजपेयी को डिस्चॉर्ज किया जा सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा का कहना है कि पूर्व पीएम का स्वास्थ्य पहले से बेहतर है।
उन्होंने देशवासियों से अपील की है कि वाजपेयी की तबियत को लेकर किसी भी तरह परेशान न हों। ये एक रूटीन प्रक्रिया है जिसके तहत एम्स के डॉक्टर उपचार दे रहे हैं। चिंता की कोई बात नहीं है।
सूत्रों का कहना है कि हाल ही उन्हें बुखार हो गया था। तीन बार प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी ने पहली बार अपना पांच सालों का कार्यकाल 1999 से 2004 के बीच पूरा किया था। वह ज्यादातर अपने कृष्णा मेनन मार्ग पर स्थित आवास पर ही रहते हैं। जहां डॉक्टरों, नर्सों और फिजियोथेरेपिस्ट्स की एक टीम चौबीस घंटे उनकी देखभाल करती रहती है।