मध्य प्रदेश: माउंट एवरेस्ट की चोटी पर चढऩे में जितनी तकलीफ नहीं हुई, उससे ज्यादा दर्द राष्ट्रीय स्तर क पूर्व वॉलीबाल खिलाड़ी अरूणिमा सिन्हा को महाकाल मंदिर में दर्शन के दौरान उठाना पड़ा। अरूणिमा ने मंदिर में अपने साथ हुई इस घटना को ट्विटर पर न सिर्फ शेयर किया, बल्कि पीएम कार्यालय और सीएम दफ्तर को भी टैंग किया।
उन्होंने बताया कि मैं दो अन्य लोगों के साथ रविवार तड़के साढ़े चार बजे मंदिर पहुंची। राज्य की एक मंत्री के मेहमान के रूप में नाम दर्ज होने के कारण उम्मीद थी अच्छे से दर्शन हो जाएंगे। मगर उन्हें एलईडी स्क्रीन पर भस्मारती देखनी पड़ी और तो और गर्भगृह के दर्शन के लिए जाने के दौरान भी उन्हें सुरक्षाकर्मियों ने रोक दिया।
परिचय और दिव्यांग होने के बारे में बताने पर भी वे नहीं माने। काफी देर तक बहस के बाद अकेले ही जाने की अनुमति दी। वहीं नंदी हॉल में जाने लगी तो फिर रोका। बार-बार परिचय देने पर बमुश्किल दर्शन हुए। उन्होंने कहा कि जिंदगी में कई विपदा देखी पर कभी आंसू नहीं आए। सिन्हा ने कहा कि मुझे आपको यह बताते हुए बहुत दुख हो रहा है कि मुझे दर्शन करने में एवरेस्ट पर चढऩे से भी अधिक दर्द हुआ।
वहां पर मेरी विकलांगता का मजाक उड़ाया गया है। उन्होंने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री कार्यालय और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय को भी टैग किया। वहीं महाकाल मंदिर के प्रशासक अवधेश शर्मा ने कहा कि उन्हें इस घटना के बारे में मीडिया रिपोट्र्स से पता चला। उन्होंने कहा कि अरुणिमा ने पुलिस या मंदिर प्रशासन के पास कोई शिकायत नहीं दर्ज कराई है।
उन्होंने आगे कहा कि यहां पर दिव्यांग लोगों के लिए एक रैंप है और मैं सुरक्षाकर्मियों से पूछूंगा कि उन्होंने सिन्हा को क्यों रोकाघ् इसके साथ ही हम सीसीटीवी फूटेज का जांच करके दोषियों का पता लगाएंगे।
राष्ट्रीय स्तर की वॉलीबाल खिलाड़ी रह चुकीं सिन्हा के अपंग होने की कहानी दुखद होने के साथ ही उनकी बहादुरी के बारे में बताती है। अप्रैलए 2011 में एक ट्रेन यात्रा के दौरान लुटेरों ने उन्हें चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया जिसमें उन्होंने घुटने के नीचे से अपना एक पैर गवां दिया। इसके दो साल बाद उन्होंने विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया और देश की पहली दिव्यांग पर्वतारोही बन गईं जिसने एवरेस्ट फतह किया है।