नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को आजाद हिंद सरकार की 75वीं वर्षगांठ पर लाल किले पर तिरंगा फहराया। इसके साथ ही उन्होंने वहां आजाद हिंद फौज को समर्पित संग्रहालय का भी उद्घाटन किया। उन्होंने इस दौरान कहा मैं देशवासियों को आजाद हिंद सरकार के 75 वर्ष होने पर बहुत.बहुत बधाई देता हूं।
साथ ही उन्होंने इससे पहले #PoliceCommemorationDay पर राष्ट्रीय पुलिस स्मारक का उद्घाटन भी किया।
उन्होंने रविवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम से वीरों के लिए सम्मान की शुरुआत करने की भी घोषणा की। देश के पुलिस जवानों के साहस, सेवा और समर्पण को याद कर पीएम मोदी भावुक भी हुए। उन्होंने कहा कि अब हर साल वीरों को यह सम्मान दिया जाएगा। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि हमने कई बलिदानों के बाद स्वराज हासिल किया।
अब यह हमारा कर्तव्य है कि हम इस स्वराज को सुराज के साथ बनाए रखें। उन्होंने कहा कि वन रैंक वन पेंशन को सरकार ने अपने वायदे के मुताबिक पूरा किया। पूर्व सैनिकों को एरियर भी पहुंचाया गया। 7वें वेतन आयोग का भी फायदा भी पहुंचाया गया। नेताजी का एक ही उद्देश्य थाए एक ही मिशन था भारत की आजादी। यही उनकी विचारधारा थी और यही उनका कर्मक्षेत्र था। भारत अनेक कदम आगे बढ़ा है लेकिन अभी नई ऊंचाइयों पर पहुंचना बाकी है। इसी लक्ष्य को पाने के लिए आज भारत के 130 करोड़ लोग नए भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं।एक ऐसा नया भारत, जिसकी कल्पना सुभाष बाबू ने भी की थी।
वीरता के शीर्ष पर पहुंचने की नींव नेताजी के बचपन में ही पड़ गई थी। इसका उदाहरण उनके द्वारा 1912 में उनकी मां को लिखी चि_ी में दिखता है। उन्होंने उसमें लिखा कि मां क्या हमारा देश दिनोंदिन और अधिक गिरता जाएगा, क्या इस भारत माता का कोई एक भी पुत्र ऐसा नहीं है जो अपने स्वार्थ को त्याग कर अपना संपूर्ण जीवन भारत मां को समर्पित करे।
बोलो मां क्या हम सोते रहेंगे। उन्होंने अपने पत्र में यह भी लिखा था कि अब और प्रतीक्षा नहीं की जा सकती। अब और सोने का समय नहीं है, अब आलस्य त्याग कर कर्म में जुट जाना होगा। आजाद हिंद सरकार सिर्फ नाम नहीं था बल्कि नेताजी के नेतृत्व में इस सरकार द्वारा हर क्षेत्र से जुड़ी योजनाएं बनाई गई थीं।
इस #AzadHindGovernment सरकार का अपना बैंक था ,अपनी मुद्रा थी, अपना डाक टिकट था, अपना गुप्तचर तंत्र था। आज मैं उन माता पिता को नमन करता हूं जिन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसा सपूत देश को दिया। मैं नतमस्तक हूं उस सैनिकों और परिवारों के आगे जिन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में खुद को न्योछावर कर दिया।