इस बार मानसूनी बारिश ने सभी विशेषज्ञों को चौंका दिया। आपको यह जानकर हैरत होगी कि जहां सबसे कम बारिश हुई वहां सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। जून से अगस्त तक पौड़ी, टिहरी और रुद्रप्रयाग जैसे जिलों में बारिश सामान्य से काफी कम रही।फिर से आई लालू पर बड़ी मुसीबत, IT विभाग ने भेजा नोटिस, पूछा- महारैली का पैसा कहां से आया
वहीं बागेश्वर और चंपावत में बदरा खूब बरसे। हैरत यह है कि पिथौरागढ़ जैसे जिले में भी बारिश सामान्य से तीन फीसद कम रही, लेकिन यहां नुकसान सर्वाधिक रहा। अगस्त में ही पिथौरागढ़ में पांच बार बादल फटे और 16 लोगों ने जान गंवाई, तीस अभी भी लापता हैं।
हालांकि, मौसम विज्ञान के विशेषज्ञ कहते हैं कि नुकसान का कम बारिश से सीधे तौर पर कोई लेना देना नहीं है। मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के निदेशक विक्रम सिंह बताते हैं कि ‘मानसून सिस्टम ऊपर रहता है और अच्छी नमी मिलने के साथ ही द्रोणी का झुकाव अधिक रहने पर अतिवृष्टि अथवा बादल फटने की घटनाएं होती हैं।’
विक्रम सिंह के अनुसार इस मानसून सत्र में अभी तक टिहरी में सामान्य से सबसे कम बारिश हुई तो चंपावत व बागेश्वर में सबसे ज्यादा। पूरे प्रदेश की बात करें तो सामान्य से पांच फीसद कम बारिश दर्ज की गई। हालांकि मौसम विभाग की भाषा में 19 फीसद अधिक या कम बारिश को सामान्य ही कहा जाता है। वह कहते हैं कि ‘जून और जुलाई में अच्छी बारिश हुई, लेकिन अगस्त में 18 फीसद कम दर्ज की गई। सितंबर में भी बारिश होती रहेगी और 30 सितंबर के बाद ही मानसून विदा होगा।’
सामान्यत: प्रदेश के 13 जिलों में जून से अगस्त तक 1016.76 मिमी बारिश होती है, लेकिन अभी तक यह आंकड़ा 965.90 मिमी है। सिर्फ अगस्त की बात करें तो सामान्य तौर पर बारिश का आंकड़ा 426 मिमी होता है, लेकिन इस बार 350 मिमी बारिश पड़ी यानी 18 फीसद कम। उन्होंने बताया कि यह स्थिति भी मानसून के हिसाब से सामान्य ही है।