लखनऊ: सालों पुराने अंधविश्वास को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ अब तोडऩे जा रहे हैं। सीएम नोएडा जाकर सालों पुराने अंधविश्वास को तोडऩे जा रहे हैं। नोएडा के साथ यह अंधविश्वास जुड़ा है कि यहां जो भी मुख्यमंत्री जाता हैए बाद में उसकी कुर्सी चली जाती है। इससे पहले यह हौसला बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने बतौर मुख्यमंत्री दिखाया था। बाद में उनकी भी कुर्सी नहीं बची थी।
25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर नोएडा के बॉटनिकल गार्डन से दक्षिण दिल्ली के कालिका जी मंदिर तक दिल्ली मेट्रों की मजेंटा लाइन का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन करेंगे। यह मेट्रो ड्राइवरलेस होगी। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शिरकत करेंगे।
नोएडा को लेकर अंधविश्वास तब जुड़ा जब कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री और गोरखपुर के निवासी वीर बहादुर सिंह 23 जून 1988 को नोएडा गए। इसके अगले दिन परिस्थितियां ऐसी बनीं कि उनको अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। यहीं से अंधविश्वास पनप गया कि जो भी नोएडा जाता है उसकी कुर्सी चली जाती है। मायावती जरूर जब चौथी बार पूर्ण बहुमत की सरकार के साथ मुख्यमंत्री बनी तो उन्होंने 14 अगस्त 2011 को इस अंधविश्वास के डर से लडऩे का फैसला किया। वह नोएडा में करीब 700 करोड़ की लागत से बने दलित प्रेरणा पार्क का उद्घाटन करने गईं।
हालांकि अगले वर्ष सियासी हालात उनके उलट रहे और उनकी कुर्सी भी उलट गई। इसके बाद यह अंधविश्वास और खौफनाक हो गया। शानदार बहुमत की सरकार के साथ सत्ता में आए अखिलेश नोएडा की योजनाओं का बटन लखनऊ में अपने 5ए कालिदास स्थित आवास में ही बैठकर दबाते रहे।
बात जब नोएडा यात्रा की होती थी तो बहुत वक्त होने की बातकर वह टाल जाते थे। अब योगी ने 25 दिसंबर को नोएडा के कार्यक्रम में शामिल होने की हामी भर इसका जवाब दे दिया है।
(सभार- एनबीटी)