भारतीय जनता पार्टी के फायर ब्रांड नेताओं में शुमार सांसद सच्चिदानंद साक्षी महाराज अपने बयानों को लेकर हमेशा सुखिर्यों में रहते हैं। इस बार वे गुरमीत राम रहीम के संबंध में दिए गए बयानों को लेकर चर्चा में हैं…Good News: 5 सितम्बर को होगा मेट्रो का उद्घाटन और 6 सितम्बर से लोगों के लिए सफर होगा शुरू!
ये सबसे बड़ा सवाल बना है कि ऐसा क्या था जो साक्षी महाराज राम रहीम को यौन शोषण के मामले में दोषी पाए जाने के बाद भी उनके समर्थन में उतरे थे। हां जब बयान से उनकी किरकिरी होती हुई दिखाई दी तो उन्होंने बेहतरी इसी में समझी कि बैकस्टेप ले लिया जाए और उन्होने वैसा किया भी।
ये कहा था साक्षी महराज ने
राम रहीम के खिलाफ पंचकुला सीबीआई कोर्ट के फैसले के परे जाकर पहले तो भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने बयान दिया और फिर उससे पलट भी गए। अपने बयान पर बढ़ते विवाद को देखते हुए साक्षी महाराज ने ऐसा किया। यू टर्न मारने पर साक्षी महाराज ने कहा ‘मैं कोर्ट का सम्मान करता हूं और मैंने बाबा रहीम के पक्ष में कोई भी बयान नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि मैं बाबा को बचाने के पक्ष में नहीं हूं। साक्षी महाराज ने कहा कि उन्होंने यह जरूर कहा था कि जब करोड़ों लोग चिल्ला रहे हैं तो इस मामले को थोड़ा सा टालना चाहिए और उनकी बात सुनने के बाद निर्णय करना चाहिए।
तब यह कहा था साक्षी महराज ने
साक्षी महाराज ने कहा कि हिंसा के कारण कितनी जाने चली गई ये कोई छोटी बात नही है अरबों का नुकसान हो गया। शुक्रवार को कोर्ट द्वारा राम रहीम को बलात्कार को दोषी करार किए जाने के साक्षी महाराज ने आरोप लगाया था कि कोर्ट केवल शिकायतकर्ताओं की बात सुन रही है करोड़ों भक्तों की बात को नजरअंदाज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक शिकायतकर्ता सही है या करोड़ों भक्त। उन्होंने कहा था कि भारतीय संस्कृति को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने डेरा समर्थकों द्वारा किए गए नुकसान के लिए अदालत को जिम्मेदार बताया था।
संसदीय फंड के दुरुपयोग के मामले में हुआ था स्टिंग ऑपरेशन
वर्ष 2005 में साक्षी महाराज को संसदीय फंड का दुरुपयोग करने के मामले में एक स्टिंग ऑपरेशन के तहत पकड़ा गया। साल 2012 में साक्षी महाराज फिर से बीजेपी में शामिल हो गए। 2013 में महाराज और उनके भाई पर उत्तर प्रदेश महिला आयोग की सदस्य सुजाता वर्मा की हत्या के मामले में आरोपी बनाया गया था। सुजाता को तब बेहद नजदीक से गोली मारी गई थी, जब वे महाराज के एटा आश्रम के दौरे पर गई थीं।
बताया जाता है कि सुजाता को साक्षी महाराज बेटी मानते थे और संपत्ति विवाद के चलते उनकी हत्या कराई गई। सुजाता ने एटा आश्रम पर अपने हिस्से को लेकर दावेदारी जताई थी, जिसके दो महीने बाद ही उनकी हत्या कर दी गई। बाद में इस मामले में भी महाराज को बरी कर दिया गया।
घटना के एकमात्र चश्मदीद गवाह और सुजाता के सहयोगी अनिल यादव ने अपने बयान में कहा था, हत्या से ठीक पहले गेट पर साक्षी महाराज उनके भाई विजय स्वरुप और दो अन्य लोग राम सिंह, सत्य प्रकाश छोटे वाले गेट पर पहले से ही बैठे थे। इन्हीं चारों में से किसी ने गोली मारी थी। इसके अलावा साक्षी महाराज पर चुनावों के दौरान बूथ कैप्चरिंग के आरोप भी लगे। जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 29 अप्रैल 2013 को ठोस सुबूतों के न होने पर उन पर एफआईआर दर्ज कराने से इंकार कर दिया।
2014 में उन्नाव से सांसद चुने गए
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में साक्षी महाराज को बीजेपी की ओर से उन्नाव लोकसभा सीट से टिकट दिया गया। जिसमें उन्होंने भारी मतों से कांग्रेस उम्मीदवार अन्नू टंडन को हराया।