लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 46 वें जन्मदिन पर मंगलवार को बधाई देने वालों का तांता लगा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें ट्वीटर पर बधाई दी है। कई अन्य भाजपा नेताओं ने भी सोशल मीडिया के माध्यम से सीएम योगी को शुभकामनाएं दी हैं। इसके अलावा सीएम आवास पर भी कई नेता उन्हें बधाई देने के लिए सुबह-सुबह फूलों का गुलदस्ता लेकर पहुंचे।
प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में कहा है कि उत्तर प्रदेश के कर्मठ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। पीएम ने कहा है कि उत्तर प्रदेश को तरक्की के मार्ग पर ले जाने के लिए योगी जी का प्रयास बेहतर साबित हो रहा है। मैं उनके लंबे और स्वस्थ जीनव की कामना करता हूं।
वहीं यूपी के ग्राम विकास मंत्री डॉ महेंद्र सिंह, भाजपा के प्रदेश महामंत्री सुनील बंसल और विजय बहादुर पाठक सुबह सीएम आवास पहुंचे। योगी आदित्यनाथ को फूलों का गुलदस्ता भेंटकर उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। इसके अलावा डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने भी ट्वीटर पर सीएम को बधाई दी है। बता दें कि योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल जिले के पंचूर गांव में हुआ था।
गढ़वाली राजपूत में जन्मे योगी के पिता नाम आनन्द सिंह बिष्ट है और माता का नाम सावित्री देवी है। योगी आदित्यनाथ का मूल नाम अजय सिंह बिष्ट है। वह गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मन्दिर के महन्त रह चुके हैं। 19 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत के बाद वह यहां के 21वें मुख्यमंत्री बने। इससे पहले 1998 से 2017 तक भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और 2014 लोकसभा चुनाव में भी यहीं से सांसद चुने गए थे।
गढ़वाली राजपूत में जन्मे योगी के पिता नाम आनन्द सिंह बिष्ट है और माता का नाम सावित्री देवी है। योगी आदित्यनाथ का मूल नाम अजय सिंह बिष्ट है। वह गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मन्दिर के महन्त रह चुके हैं। उत्तराखंड के छोटे से कस्बे कोटद्वार में 1991 के छात्र संघ चुनाव में यदि योगी आदित्यनाथ को हार का सामना नहीं करना पड़ता तो शायद वक्त उन्हें आज योगी की पहचान के साथ इस बुलंदी पर नहीं ले जा पाता।
कोटद्वार डिग्री कालेज में मिली इस छोटी सी हार ने उनके सामने भविष्य का सुनहरा रास्ता खोल दिया। उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के लाल महंत योगी आदित्यनाथ देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। यह पहला मौका नहीं है जब उत्तर प्रदेश में उत्तराखंड का कोई मुख्यमंत्री बना हो। गोविंद वल्लभ पंत, हेमवती नंदन बहुगुणा और एनडी तिवारी यूपी के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
गढ़वाल विश्वविद्यालय से उन्होंने बीएससी की डिग्री हासिल की। वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रखर कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते रहे। 22 वर्ष की आयु में उन्होंने अपना परिवार त्याग दिया और गोरखपुर चले गए।बाद में गोरखपुर में महंत अवैद्यनाथ के समाधिस्थ होने पर वह गोरक्षपीठाधीश्वर बने। बारहवीं लोक सभा 1998-99 में मात्र 26 वर्ष की आयु में वह सबसे कम उम्र के सांसद बने। 1991 के छात्र संघ चुनाव में पराजय के बाद वे इस कदर आहत हो गए कि उन्होंने अपने मामा महंत अवैद्यनाथ को पत्र लिखकर गोरखपुर बुलाने का अनुरोध किया।
गोरखपुर पहुंचने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और अजय बिष्ट से योगी आदित्यनाथ होकर आज यूपी के सीएम तक का सफर कर लिया। यमकेश्वर ब्लाक के पंचुर गांव से कोटद्वार योगी बीएससी की पढ़ाई के लिए आए थे। शुरू में अंतर्मुखी स्वभाव के योगी इस कस्बे में अपनी पहचान बनाना चाहते थे। इसलिए सरल सहज रास्ता छात्र संघ का चुनाव लगा।
एबीवीपी से वे जुड़े हुए थे मगर टिकट उन्हें नहीं मिल पाया। एबीवीपी ने महासचिव पद पर दीप प्रकाश भट्ट को टिकट दियाए तो समर्थकों के कहने पर योगी बागी होकर चुनाव लड़ गए। इस चुनाव में योगी को बुरी तरह पराजय मिली और वे पांचवें नंबर पर रहे।इस चुनाव में अरुण तिवारी को जीत हासिल हुई थी। इस हार ने जिंदगी में बड़ी जीत के उनके रास्ते खोल दिए।
हालांकि इस बीच ऐसा वाक्या भी हुआए जिसने उनके मन में उदासी को और ज्यादा भर दिया। गैरेज रोड पर उनके छोटे से किराये के कमरे में चोरों ने हाथ साफ कर दिया। पुलिस में रिपोर्ट लिखाने तक के लिए उन्हें मशक्कत करनी पड़ी। उस वक्त के उनके सहयोगी और वर्तमान में पाली लंगूर में प्रवक्ता पदमेश बुड़ाकोटी को योगी से जुड़ी कई सारी बातें याद हैं।
बकौल-बुड़ाकोटी चुनाव में हार और घर में चोरी से निराश योगी ने महंत अवैद्यनाथ को चि_ी लिखकर अपने पास बुलाने के लिए कहा था। 1992 में वह गोरखपुर चले गए और फिर वहीं के होकर रह गए। कोटद्वार कालेज में योगी जितना भी समय रहेए बेहद सादगी से रहे।
हालांकि आगे बढऩे की एक ललक उनमें हमेशा दिखती रही। 1991 के कोटद्वार कालेज छात्र संघ के अध्यक्ष रहे विनोद रावत के मुताबिकए योगी ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया। कठिन पारिवारिक परिस्थितियों से होकर वह गुजरे और अपना अलग मुकाम बनाया।गोरखपुर में महंत अवैद्यनाथ के पास पहुंचने के बाद आदित्यनाथ ने बाकायदा दीक्षा ली। फिर अपने पिता को यमकेश्वर चि_ी भेजीए जिसमें सारी स्थितियों को सामने रखा। उन्होंने बताया कि उनके स्तर पर दीक्षा ले ली गई है और अब अजय बिष्ट मर गया है। योगी आदित्यनाथ का ही अब अस्तित्व है।