
गौरतलब है कि पहले पार्टी नेतृत्व ने प्रधानमंत्री की एक दर्जन रैलियां कराने की योजना बनाई थी। इस योजना के तहत पांच चरणों में दो-दो और बाकी दो चरणों में एक-एक रैली कराने पर सहमति बनी थी। हालांकि, रैलियों के बाद पार्टी के पक्ष में सकारात्मक परिवर्तन के मद्देनजर प्रधानमंत्री पहले दो चरण के चुनाव संपन्न होने से पहले ही छह रैलियां संबोधित कर चुके हैं। चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पूर्व भी पीएम मोदी परिवर्तन यात्रा के तहत सात रैलियों को संबोधित कर चुके हैं।
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पार्टी सूत्रों के मुताबिक चूंकि परिवर्तन यात्रा के तहत चुनाव की घोषणा से पूर्व ही पीएम सात रैलियों को संबोधित कर चुके थे, इसलिए उस समय ऐसा लगा कि चुनाव की घोषणा के बाद एक दर्जन रैलियां काफी होंगी। हालांकि, उम्मीदवारों की मांग, रैलियों के बाद पार्टी के पक्ष में बने माहौल को देखते हुए उनकी रैलियों की संख्या बढ़ाने पर सहमति बनी। पार्टी की योजना पीएम का पूर्वी उत्तर प्रदेश में खास उपयोग करने की है।
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ऐसे में प्रधानमंत्री इस क्षेत्र में कई रैलियों को संबोधित कर सकते हैं। उक्त सूत्र के मुताबिक प्रधानमंत्री ने ही चुनाव से पूर्व पार्टी को गैरयादव पिछड़ी जातियों और अगड़ी जातियों पर पूर्ण रूप से केंद्रित करने का निर्देश दिया था। प्रथम चरण के मतदान के बाद पार्टी का आकलन है कि गैर यादव पिछड़ी जातियां पार्टी के पक्ष में गोलबंद हुई हैं।
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