मुंबई के मेयर के रूप में शिवसेना के उम्मीदवार की ताजपोशी का रास्ता साफ हो गया है जहां महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आज घोषणा की कि भाजपा आठ मार्च को होने वाले मेयर पद के चुनाव में नहीं लड़ेगी। फडणवीस ने यह भी स्पष्ट किया कि भाजपा के फैसले को उनकी सरकार को स्थिर बनाए रखने के लिए किया गया ‘समर्पण’ नहीं माना जाना चाहिए। फडणवीस ने यहां अपने सरकारी आवास पर कहा, ‘‘मुंबई की जनता ने भाजपा के लिए भरपूर मतदान किया क्योंकि उन्हें निगम प्रशासन में पारदर्शिता के हमारे एजेंडे पर भरोसा है। शिवसेना सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी वहीं हम उनसे दो सीट पीछे रहे। हम अपने दम पर मेयर बनाने के लिए संख्या नहीं पा सके।’’ उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना के बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) में 84 पार्षद चुनकर आए हैं वहीं भाजपा दो सीट पीछे रह गई।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘भाजपा उप मेयर पद के लिए भी चुनाव नहीं लड़ेगी और स्थाई, सुधार, शिक्षा समितियों तथा बेस्ट समिति के अध्यक्ष पद के लिए भी चुनाव नहीं लड़ेगी। हमें हमारा मेयर बनाने के लिए अन्य दलों का समर्थन जरूरी था।’’ फडणवीस के मुताबिक भाजपा के पास दो विकल्प थे। एक तो बाहरी समर्थन लेकर मेयर बनाना, जिसका मतलब होता कि पारदर्शिता के मामले में समझौता कर लिया गया। दूसरा यह कि जनता द्वारा हम पर जताए गए विश्वास को उचित ठहराना।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने दूसरा विकल्प चुना।’’ फडणवीस ने कहा, ‘‘मुंबई के मेयर के मुद्दे का मेरी सरकार की स्थिरता से कोई लेनादेना नहीं है। यह स्थिर है। कल शिवसेना के मंत्रियों ने कैबिनेट की बैठक में भाग लिया और हम अनेक मुद्दों पर सहमत थे।