हमारा देश आज जिस संकट को झेल रहा है उसको दरकिनार कर कुछ लोगों ने बॉलीवुड इंडस्ट्री की एक बड़ी और बेहतरीन अदाकारा को अपना निशाना बना लिया है. वो किस लिए? क्योंकि उन्होंने अपने किरदार के लिए बड़ी रकम की मांग कर दी.. बस!
किरदार है सीता का और कठघरे में खड़ी एक्ट्रेस हैं करीना कपूर खान और ये हंगामा आलौकिक देसाई कि फिल्म ‘सीता: द इनकार्नेशन’ में उनके किरदार को लेकर हुआ है. जिससे सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर इस बात को लेकर जंग छिड़ गई और ट्रेंड करने लगा #Boycottkareenakhan.
ऐसा क्यों होता है जब एक एक्टर अपने ऐसे किरदारों पर अपने मनमुताबिक़ रकम कि मांग करे तो चलता है लेकिन वहीं जब एक टैलेंटेड एक्ट्रेस अपने मन मुताबिक़ मांग करे तो उस पर सवाल खड़े कर दिए जाते हैं. ये बहिष्कार बॉलीवुड में पुरुष प्रधान समाज की मानसिकता को दिखाता है. बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में वो दौर भी आया है जब कई एक्ट्रेसेस को सफलता की गारंटी कहा जाता था. मीना कुमारी, नरगिस, नूतन, वहिदा रहमान जैसी अभिनेत्रियों का दौर भी आया जब उन्हें किसी फिल्म के लिए ज्यादा फीस दी गई. उसके बाद श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित, जूही चावला जैसी अभिनेत्रियों ने यह लेगेसी आगे बढ़ाई. तो फिर क्यों यह सवाल बार-बार आता है? क्यों आज फिल्ममेकर्स अभिनेत्रियों को उनकी काबिलियत के हिसाब से नहीं जांचते. या क्यों अपने टैलेंट के बावजूद एक अभिनेत्री को फिल्मों में उस तरह के किरदार नहीं दिए जाते जो वह डिजर्व करती है?
नरगिस और मधुबाला का जमाना
यह जमाना वो था जब राज कपूर की फिल्मों में उनकी लीडिंग लेडीज को देखने के लिए सिनेमा हॉल में लंबी लाइन लगती थी. जब नरगिस और मधुबाला जैसी अभिनेत्रियों ने हिंदी सिनेमा में अपने अभिनय के जरिए एक अमिट छाप छोड़ी. नरगिस को अपने जमाने की सबसे बेस्ट एक्ट्रेस माना जाता था. आलम यह था कि हर निर्देशक और अभिनेता उनके साथ काम करना चाहता था. फिल्म ‘मदर इंडिया’ की सफलता में अगर किसी का सबसे बड़ा योगदान रहा तो वह नरगिस ही हैं. किसी फिल्म में उनका होना फिल्म सफलता की गारंटी थी. इतना ही नहीं, वह उस जमाने में सबसे ज्यादा फीस पाने वाली अभिनेत्री थीं, तो फिर आज लोगों को या फिल्मकारों को यह बात हजम करने में इतनी परेशानी क्यों होती है?
हेमा और रेखा का जमाना
इसी तरह 1970 के दशक में जया बच्चन, रेखा, हेमा मालिनी अर्श पर थीं. कहा जाता है ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी की पॉपुलेरिटी को देखते हुए जब उन्हें फिल्म ‘शोले’ में साइन किया तो उनको 75000 रुपये फीस मिली थी. उस दौर में किसी अभिनेत्री को मिलने वाली फीस से यह कहीं ज्यादा थी. फिल्म के निर्देशक रमेश सिप्पी बसंती के रोल के लिए हेमा मालिनी को ही चाहते थे और उसके लिए जो फीस हेमा मालिनी ने मांगी उन्हें दी गई.
सुपरस्टार एक्ट्रेसस का जमाना
श्रीदेवी एकलौती ऐसी अभिनेत्री थीं, जिन्होंने फिल्मी परदे पर राज किया. फिल्म ‘सदमा’ से मिली हिट ने उन्हें न सिर्फ शीर्ष पर पहुंचाया बल्कि 1986 में आई उनकी हिट फिल्म ‘नागिन’ के बाद उनकी फीस में इजाफा भी हुआ. ऐसा कहा जाता है कि उस दौरान उनकी फीस 40 लाख थी. मिस्टर इंडिया की रिलीज के बाद, श्रीदेवी अपने चरम पर पहुंच गईं और बॉलीवुड की निर्विवाद रूप से सबसे बड़ी सुपरस्टार बन गईं. उन्हें ‘महिला बच्चन’ कहा जाता था क्योंकि अमिताभ और श्रीदेवी दोनों उस समय लगभग 60 लाख रुपये फीस ले रहे थे.
इसी बीच फिल्म ‘तेजाब’ से माधुरी दीक्षित की एंट्री हुई. उनके सुपरहिट गानों ने एक बार फिर साबित किया कि फिल्म इंडस्ट्री में अभिनेत्रियों की बादशाहत कायम रहेगी. साल 1990 में श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित, मीनाक्षी शेशाद्री और जूही चावला सबसे ज्यादा फीस पाने वाली अभिनेत्रियों में से एक थीं, तो फिर आज वापिस यह सवाल क्यों?
बॉलीवुड में ये जेंडर गैप क्यों?
जहां एक तरफ एक अभिनेता को अक्सर आसन पर बैठा दिया जाता है और एक अभिनेत्री की जगह फिल्मों में आइटम सॉन्ग और कुछ सेकेंड के किरदारों पर रह जाती है. ऐसा हमेशा ही होता है, जब एक अभिनेत्री को अभिनेता के बराबर नहीं देखा जाता. ऐसा नहीं है कि हमने इन अभिनेत्रियों को मेनस्ट्रीम सिनेमा में एक सशक्त किरदार निभाते हुए न देखा हो. रानी मुखर्जी, विद्या बालन, करीना कपूर खान, कंगना रनौत जैसी अभिनेत्रियों द्वारा बॉक्स ऑफिस पर हिट फिल्में देने के बाद भी यह घटना हर बार ट्रेंडिंग में आ जाती है.
‘व्हाट वीमेन वांट’
आज फिल्ममेकर्स को और हमें इन रूढ़ियों को तोड़ने की जरूरत है. महिलाओं को फिल्म उद्योग में अधिक प्रतिनिधित्व करने और बिना किसी डर के अपना स्थान बनाने के लिए बातचीत करने की जरूरत है. हालांकि बदलाव हो रहें हैं. लेकिन दर्शकों के मन में महिलाओं की धारणा को बदलने में लंबा वक्त लगेगा. आप लोगों को भी ये सोचना होगा की असल में ‘व्हाट वीमेन वांट’….
By- कविता सक्सेना श्रीवास्तव