लखनऊ: अलीगंज पुलिस को बीती रात बड़ी सफलता उस वक्त हाथ लगी, जब पुलिस ने लूटपाट करने वाले पांच शातिर लुटेरों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने पकड़े गये लुटेरों के पास से 1.45 लाख रुपये, 10 मोबाइल फोन और घटना में प्रयुक्त दो बाइक बरामद की। आरोपियों ने अब तक राजधानी में 60 से अधिक लूट की वारदात को अंजाम देने की बात कबूली है। इसके अलावा इस गैंग में मई माह में महानगर इलाके में पांच की लूट की एक वारदात को भी अंजाम दिया था।
एसएसपी दीपक कुमार ने बताया कि अलीगंज पुलिस ने बीती रात मुखबिर की सूचना पर बीस फीटा रोड के पास से दो अपाचे बाइक सवार पांच संदिग्धों को पकड़ा। जब सबकी तलाशी ली गयी तो उनके पास से 1.45 लाख रुपये और दस मोबाइल फोन मिले। पूछताछ की गयी तो आरोपियों ने बताया कि उक्त मोबाइल फोन लूट का है।
कड़ाई से पूछताछ के दौरान आरोपियों ने लखनऊ में 60, गाजियाबाद में 80 और एनसीआर इलाके में लूट की 20 वारदातों को अंजाम देने की बात कबूल की। आरोपियों ने अपना नाम गाजियाबाद निवासी आरिफ, आजिम, फैजान, इमरान और रेहान बताया।
पुलिस ने जब छानबीन की तो पता चला कि लुटेरों के इस गैंग ने बीते 20 मई को हजरतगंज के नरही निवासी सुजीत कुमार से वायरलेस चौराहे के पास पांच लाख की लूट की वारदात को अंजाम दिया था। अलीगंज पुलिस का दवा है कि पांच लाख की लूट के अलावा लुटेरों के इस गंैग से अब तक 20 लूट की घटनाओं का पता चल सका है।
इस तरह करते थे लूट
इस गैंग का लीडर आरिफ है। उसकी हसनगंज इलाके में ससुराल हैं और वह किराये के मकान में रहता है। आरिफ ने गाजियाबाद के रहने वाले बाकी लुटेरों के साथ मिलकर अपना गैंग तैयार किया था। इसके बाद सभी लोग हसनगंज इलाके में किराये का कमरा भी दिलाया था। आरिफ गैंग के लोगों को फोन कर शिया कालेज बुलाता था। इसके बाद यह लोग बाइक से घूम-घूमकर लूट की वारदात को अंजाम देते थे। लुटेरों का यह गैंग अपने साथ गमछा और शर्ट भी रखता था, ताकि वारदात के फौरन बाद यह लोग अपना हुलिया बदल ले और पुलिस उन पर शक न कर सके। आरोपी आरिफ ने कभी अपने गैंग के लोगों को अपना मकान भी नहीं दिखाया था। यहां तक कि आरिफ अपना मोबाइल फोन भी हमेशा आफ रखता था। वारदात को अंजाम देने से पहले वह फोन आन कर साथियों को बुलाता था और फिर फोन बंद कर लेता था।
हाईफाई शौक और नशे की लत को पूरा करने के लिए करते थे लूट
एसओ अलीगंज जयशंकर सिंह का कहना है कि बदमाशोंं का यह गैंग हाईफाई शौक रखता है। महंगे कपड़े पहनना, घूमना और नशे की लत को पूरा करने के लिए यह लोग लूट की वारदात को अंजाम देते थे। लूट का सामान गैंग लीडर दिल्ली चोर बाजार में बेच दिया करता था।
लूट की रकम अपने पास नहीं रखता था गैंग लीडर
लुटेरों की लीडर लूट कर जमा की गयी आधी रकम अपने पास रखता था,जबकि आधी रकम बाकी साथियों में बांट दिया करता था। खाते में ज्यादा रुपये न हो इसके लिए लीडर आरिफ कुछ रकम अपने रिश्तेदारों के पास विदेश भेज देता था और फिर वही रकम उन लोगों से अपने खाते में मंगवा लेता था। ऐसा वह इसलिए करता था कि कभी खाता चेक हो तो वह लोग कह सके कि उनके खाते में मौजूद रकम उसके रिश्तेदारों ने विदेश से भेजी है। सिर्फ इतना ही नहीं पकड़े गये लुटेरे लूट की रकम का 20 प्रतिशत हिस्सा जमा करके अपने साथ रखते थे। ऐसा वह इसलिए करते थे ताकि पकड़े जाने पर जमानत में उस रकम का प्रयोग कर सकें।
एक पीडि़ता से मिल इनपुट पर पकड़े गये लुटेरे
अलीगंज पुलिस ने शातिर लुटेरों को पकड़कर जहां एक तरफ गुडवर्क किया है, वहीं इस गुडवर्क की असली सूत्रधार एक महिला को पुलिस ने नज़र अंदाज कर दिया। अगर लूट की शिकार हुई महिला ने बदमाशों की बाइक का नम्बर पुलिस को नहीं दिया होता तो शायद आज पुलिस उनतक नहीं पहुंच सकती। हुआ यूं कि अलीगंज के सेक्टर सी निवासी मधु श्रीवास्तव से बीते 26 अक्टूबर को बाइक सवार बदमाशों ने पर्स लूटा था। उस वक्त मधु ने बदमाशों की बाइक का नम्बर नोट कर लिया और पुलिस को नम्बर दे दिया था। बस मधु से मिले नम्बर के बाद अलीगंज पुलिस लुटेरों के इस गैंग तक पहुंच गयी।