फैजाबाद: रामजन्मभूमि के प्रमुख पक्षकार व निर्मोही अखाड़ा के सरपंच महंत भास्कर दास का लंबी बीमारी के बाद अयोध्या में निधन हो गया। मंगलवार को सांस लेने में तकलीफ और ब्रेन स्ट्रोक होने के बाद उन्हें देवकाली स्थित निजी चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था। तभी से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। 89 वर्षीय महंत भास्कर दास 1959 से राम जन्मभूमि के मुकदमे जुड़े थे। अयोध्या के तुलसीदास घाट पर आज उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनको श्रृद्घांजली देने के लिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी जा सकते हैं।
महंत के करीबियों ने बताया कि वह काफी अरसे से बीमार चल रहे थे। अचानक तबीयत खराब होने पर उन्हें फैजाबाद के हर्षण हृदय संस्थान में ऐडमिट कराया गया था। सुबह करीब चार बजे के आसपास उन्होंने अंतिम सांस ली। भास्कर दास का इलाज कर रहे डाक्टर अरुण कुमार जायसवाल ने बताया कि उनको लकवे का अटैक हुआ।
अधिक उम्र होने की वजह से उनकी हालत और नाजुक हो गई थी। पिछले कुछ दिनों से बाबा महंत दास को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें बाहर भेजने के लिए सलाह दी गई थी पर वे धार्मिक कारणों से लखनऊ और दिल्ली इलाज के लिए नहीं जाना चाहते थे। उत्तराधिकारी पुजारी राम दास के बताया मंगलवार को सांस लेने में तकलीफ व ब्रेन स्ट्रोक होने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
इसके बाद से ही हालत खराब होती गई। शनिवार सुबह उन्होंने आखरी सांस ली। महंत के निधन की सूचना के बाद उनके शिष्यों का जमावड़ा अयोध्या स्थित मंदिर में लगने लगा है। निर्मोही अखाड़ा के महंत भास्कर दास रामजन्मभूमि केस में मुख्य पक्षकार थे। 89 वर्षीय महंत भास्कर दास 1959 से राम जन्मभूमि के मुकदमे जुड़े थे। महंत को अंतिम विदाई देने के लिए उनके शिष्य आश्रम पहुंचने लगे हैं। फैजाबाद के सांसद लल्लू सिह और पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डॉ निर्मल खत्री ने भी उनको श्रद्धांजलि दी। भास्कर दास के निधन का नाका हनुमानगढ़ी में साफ असर दिख रहा है।
शोक में सभी दुकानें बंद कर दी गई हैं। आरएसएस के उच्च स्तरीय पदाधिकारी डॉ अनिल मिश्र, राम कुमार राय, डॉ बिक्रमा प्रसाद पांड, डॉ शिव कुमार अम्वेश, अयोध्या के विधायक वेद प्रकाश गुप्त और बीजेपी नेता कमलेश श्रीवास्तव ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी है। 1993 में महंत भास्कर दास निर्मोही अखाड़े के उपसरपंच बन गए थे।
फिर 1993 में ही सीढ़ीपुर मंदिर के महंत रामस्वरूप दास के निधन के बाद उनके स्थान पर भास्कर दास को निर्मोही अखाड़े का सरपंच बना दिया गया। तब से यही निर्मोही अखाड़े के महंत रहे। 1949 में वह राम जन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद केस से जुड़े। 1986 में भास्कर दास के गुरु भाई बाबा बजरंग दास का निधन हो गया। जिसके बाद इन्हें हनुमान गढ़ी का महंत बना दिया गया।
भास्कर दास फैजाबाद में निर्मोही अखाड़ा के महंत रहे। राम जन्मभूमि में हाईकोर्ट ने तिहाई हिस्सा निर्मोही अखाड़े को दिया है। उन्होंने 1959 में अयोध्या राम जन्म भूमि के स्वामित्व का दावा दायर किया था। इसके साथ ही मुस्लिम पक्षकार हाशिम अंसारी से भी संबंध काफी मधुर थे। महंत भास्कर दास ने आपसी भाई चारे का हमेशा खयाल रखा।