लखनऊ: यूपी की फारेंसिक साइंस लैब यानि एफएसएल के निदेशक डाक्टर श्याम बिहारी उपाध्याय की मुश्किलों बढ़ती नज़र आ रही हैं। अब उनको पद से हटाने के लिए डीजीपी मुख्यालय ने संस्तुती करते हुए पत्र शासन को भेज दिया है। हाल में ही यूपी विधानसभा में मिले संदिग्ध विस्फोटक के मामले में एफएसएल की लापरवाही निकल कर सामने आयी थी।
यह कोई पहली बार नहीं है पहले भी यूपी की फारेंसिक साइंस लैब पर कई सवाल उठ चुके हैं। कुछ माह पहले आईएसएस अधिकारी अनुराग की मौत के मामले में भी फारेंसिक साइंस लैब की भूमिका पर सवाल उठे थे। आईएएस अधिकारी के परिवार के लोगों ने फारेंसिक के एक अधिकारी पर पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों को दवाब बनाने का आरोप लागया था। इसके बाद लखनऊ एफएसएल को इस जांच से हटा लिया गया था।
इसके अलावा एफएसएस के निदेश डाक्टर श्याम बिहारी उपाध्याय का विवादों से चोली-दाम का साथ रहा है। बिहार में उपाध्याय के खिलाफ कई मामलों में जांच चल रही है। इनमें से एक मामला उनके एफएसएल के निदेशक रहने के दौरान वित्तीय अनियमितताओं और फारेंसिक सबूतों से छेड़छाड़ से जुड़ा है। आरोप है कि डॉ उपाध्याय ने बिहार सरकार को करीब 17 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाया था।
इस मामले की जांच बिहार लोकायुक्त और विजिलिेंस जांच के बाद 2013 में चार्जशीट दाखिल की गई थी,लेकिन इससे पहले ही उपाध्याय ने हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत हासिल कर ली। इस मामले के बावजूद वर्ष 2010 में वह लखनऊ स्थिति फारेंसिक लैब के निदेशक बन गए और तब से यहीं तैनात हैं।
इसके बाद बिहार सरकार ने यूपी सरकार से डॉ उपाध्याय के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मांगी थी पर पिछली अखिलेश सरकार में गृह विभाग के अफसर बार-बार विधिक राय मांगे जाने का बहाना बनाते हुए मामले को टालते रहे थे।