लखनऊ: लोन लिये हुए लोगों को बीमा और अन्य सुविधाएं देने के नाम पर करोड़ों की ठगी का एक कॉल सेंटर अलीगंज इलाके में चल रहा था। कॉल सेंटर की आड़ में लोगों से ठगी करने वाले चार जालसाजों को लखनऊ साइबर क्राइम सेल ने गिरफ्तार किया। पुलिस ने उनके पास से एक दर्जन कम्प्यूटर, लोगों की डीटेल, मोबाइल फोन, सिमकार्ड और फर्जी आइडी प्रूफ बरामद किये हैं। आरोपियों ने देश भर में लोगों से ठगी का अंजाम दिया है।
एसएसपी कलानिधि नैथानी ने बताया कि साइबर क्राइम सेल को इस बात की सूचना मिली कि अलीगंज के सीतापुर रोड एसबीआई कालोनी में एक मकान में फर्जी कॉल सेंटर चल रहा है। यह कॉल सेंटर लोगों को तरह-तरह की लालच देकर उनके साथ ठगी करता है। इस सूचना पर काम करते हुए शुक्रवार को साइबर क्रइाम सेल की टीम ने अलीगंज एसबीआई कालोनी स्थित इस फर्जी कॉल सेंटर पर छापा मारा।
छापेमारी के दौरान पुलिस को वहां मौजूद चार जालसाज मिले। पुलिस ने सभी को मौके से गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ की गयी तो पकड़े गये आरोपियों ने अपना नाम आजमगढ़ निवासी गौरव सिंह बताया। गौरव आईटी फील्ड में बीटेक कर रखा है, दूसरे आरोपी ने अपना नाम सुलतानपुर निवासी अर्पित सिंह बताया। उसने इलाहाबाद विवि से एलएलबी की पढ़ाई की है।
तीसरे आरोपी ने अपना नाम सुलतानपुर निवासी अतुल कुमार सिंह बताया और उसने भी इलाहाबाद विवि से बीए किया है। चौथे आरोपी से पूछताछ में उसका नाम दिल्ली निवासी सूरज सोनी पता चला और वह महज इण्टर पास है। पकड़े गये आरोपी गौरव, अर्पित, अतुल गोमतीनगर इलाके में और सूरज महानगर इलाके मेें किराये पर रहते थे। एसएसपी ने बताया कि इस गैंग का लीडर अमित सिंह है जो अभी फरार है। पकड़े गये जालसाजों के पास से पुसिल को 12 कम्प्यूटर, 21 मोबाइल फोन, 20 सिमकार्ड, फर्जी नाम व पते पर बनाये गये आईडी प्रूफ, बायोमेट्रिक अटेन्टेंस मशीन और लोगों के भारी मात्रा में डाटा बरामद किये। आरोपी अतूल और अमित सगे भाई हैं, जबकि अर्पित उनका चचेरा भाई है। लोगों को ठगने के लिए आरोपियों ने www. online.citibank.co.in की वेबसाइट भी बना रखी थी।
इस तरह से करते थे ठगी
एसपी पूर्वी ने बताया कि इस गैंग का लीडर अमित सिंह है। उसने अलीगंज इलाके में किराये पर कॉल सेंटर खोल रखा था। इस कॉल सेंटर में उसने कई लड़कियों को भी नौकरी पर रखा था। आरोपी अमित सिंह अपने साथियों को उन लोगों का डाटा देता था, जिन लोगों ने बैंक से लोन ले रखा था। इसमें लोगों का नाम, पता, मोबाइल नम्बर और ई-मेल आईडी होता था। इसके बाद आरोपी अमित के साथी कॉल सेंटर में काम करने वाले लोगों को उन लोगों से फोन पर बात करने के लिए कहते थे। फोन पर बातचीत के दौरान आरोपी लोन लिये हुए लोगों को उनके लोन डीफाल्ट होने की बात बताते थे। इसके बदले में आरोपी लोगों से लोन के एवज में बीमा की बात कहते थे। जो भी व्यक्ति इनके जाल में फंस जाता था आरोपी उससे खाते में रुपये ट्रांसफर करा लिया करते थे। सिर्फ इतना ही नहीं आरोपी लोगों को प्रोडेक्ट बेचने के नाम पर ठगी करते थे। आरोपी ठगी की गयी रकम को फर्जी नाम व पते से खोले गये बैंक खाते में मंगवाते थे।
एक शिकार से 15 दिन तक करते थे बात
सीओ हजरतगंज और साइबर क्राइम के नोडल अधिकारी अभय कुमार ने बताया कि जालसाज किसी भी व्यक्ति को अपने जाल में फंसाने के लिए 15 दिनों तक उससे सम्पर्क करते थे। इसके लिए वह एक सिमकार्ड का प्रयोग करते थे। अगर 15 दिन में उक्त व्यक्ति उनके जाल में फंस जाता था तो वह उससे रुपये ऐंठ लेते थे। पंद्रह दिन के अंदर अगर व्यक्ति व्यक्ति जाल में नहीं फंसा तो आरोपी उससे बात करना बंद कर दिया करते थे और बातचीत के लिए प्रयोग होने वाला सिमकार्ड बंद कर देते थे।
देश के कई राज्यों के लोगों से कर चुके हैं ठगी
एसएसपी ने बताया कि अभी तक की गयी छानबीन मेें इस बात का पता चला है कि जालसाजों ने देश के अलग-अलग राज्यों के लोगों से करोड़ों की ठगी का अंजाम दिया है। राजस्थान के अलवर निवासी राजेन्द्र कुमार कोहनी और पश्चिम बंगाल निवासी संजय विश्वास ने पुलिस से सम्पर्क किया और इस गैंग के ठगी का शिकार होने की बात बतायी है। एसएसपी का कहना है कि पकड़े गये आरोपियों को खुद भी इस बात का पता नहीं है कि अब तक उन लोगों ने कितने लोगों से कितने की ठगी का अंजाम दिया है।
अमित के पकड़े जाने पर कई अहम खुलासे होने की उम्मीद
एसपी पूर्वी ने बताया कि जालसाजों के इस गैंग का लीडर अमित सिंह है। फिलहाल पुलिस की टीम अमित की तलाश में लगी है। उन्होंने बताया कि अमित के पकड़े जाने पर इस बात की उम्मीद है कि गैंग से जुड़े और लोगों के बारे में पता चल सकेगा और कई और खुलासे भी हो सकते हैं। पुलिस का कहना कि अमित के पकड़े जाने के बाद इस बात का भी पता चल सकेगा कि वह लोन लेने वाले लोगों की डीटेल कहां से और कैसे लाता था।
कॉल सेंटर में काम करने वालों को बाहर जाने की अनुमति नहीं थी
सीओ हजरतगंज ने बताया कि जालसाजों ने अलीगंज के किराये के मकान में पूरा आफिस नुमा कॉल सेंटर बना रखा था। इस कॉल सेंटर में वेतन के हिसाब से युवक-युवतियां काम करते थे। सुबह 9 बजे कॉल सेंटर खुल जाता था। एक बार बायोमेट्रिक अटेंडेंस होने के बाद किसी भी व्यक्ति को बाहर जाने की इजाजत नहीं होती थी। चाय से लेकर दोपहर का खाना सब दफ्तर में ही मुहैय्या कराया जाता था। इसके बाद काम खत्म होने पर शाम को कॉल सेंटर बंद कर दिया जाता था।