नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था में स्फूर्ति लाने के लिए सरकार आगामी आम बजट में प्रत्यक्ष करों में व्यापक बदलाव कर सकती है। यह बात एक रिपोर्ट में कही गई है। एसबीआई की रिसर्च रिपोर्ट ईकोरैप के मुताबिक आगामी बजट में व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा बढ़ाई जा सकती है, सेक्शन 80सी के तहत छूट सीमा बढ़ाई जा सकती है, आवास ऋण पर ब्याज छूट सीमा बढ़ सकती है और बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट की लॉक-इन अवधि को यदि पूरी तरह समाप्त नहीं हो सके, तो कम से कम घटाई जा सकती है।
ईकोरैप रिपोर्ट में यह अनुमान पेश किया गया है कि व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को वर्तमान ढाई लाख रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये की जा सकती है, सेक्शन 80सी छूट सीमा को वर्तमान डेढ़ लाख रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये और आवास ऋण ब्याज दर छूट सीमा को वर्तमान दो लाख रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये की जा सकती है और कर छूट का लाभ लेने के लिए बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट की लॉक इन अवधि को वर्तमान पांच साल से घटाकर कम से कम तीन साल (यदि पूरी तरह से हटाई न जाए) की जा सकती है।
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एसबीआई के मुख्य आर्थिक सलाहकार और आर्थिक रिसर्च विभाग के जीएम सौम्या कांति घोष द्वारा तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि इन राहत पर सरकार को 35,300 करोड़ रुपये का खर्च बैठेगा, लेकिन हमारा अनुमान है कि आईडीएस-2 से होने वाली आय और नोटबंदी के बाद आरबीआई की देनदारी से इससे कहीं अधिक आय सरकार को हो जाएगी।
3.3-3.4 फीसदी हो सकता है नया वित्तीय घाटा लक्ष्य
आम बजट 2017-18 के लिए वित्तीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी का 3.3-3.4 फीसदी रखा जा सकता है। यह अनुमान ताजा रिपोर्टों में पेश की गई है। गोल्डमैन सैक्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार को नोटबंदी के बाद कमजोर आर्थिक माहौल में मांग बढ़ाने की जरूरत और वित्तीय घाटा कम करने के रास्ते पर आगे बढ़ने के बीच तालमेल बिठाते हुए सतर्कता के साथ बढ़ना होगा।
बढ़ सकता है ग्रामीण खर्च : गोल्डमैन
आगामी बजट में मांग को बढ़ावा देने वाले कदम उठाए जा सकते हैं और इसके तहत ग्रामीण खर्च तथा पूंजीगत खर्च बढ़ाया जा सकता है। यह बात गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट में कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 में सरकार मांग को बढ़ावा देने के लिए सिंचाई, सस्ती हाउसिंग और ग्रामीण विद्युतीकरण के जरिए ग्रामीण खर्च बढ़ा सकती है।
रिपोर्ट के मुताबिक सरकार पूंजीगत खर्च 26 फीसदी बढ़ा सकती है। सरकार की प्राथमिकता हालांकि संपत्ति के निर्माण की तरफ अधिक और सब्सिडी देने की तरफ कम हो सकती है।रिपोर्ट के मुताबिक आगामी बजट अधिकतर सेक्टरों और खासतौर से इंफ्रास्ट्रक्चर, पूंजीगत वस्तु और वित्तीय सेक्टरों के लिए सकारात्मक रह सकता है।