सभी पूर्णिमा में श्रेष्ठ मानी जाने वाली बुध पूर्णिमा आने वाली है। इसकी तिथि को लेकर एक बार फिर लोगों में संशय है। हिंदू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि तो दो दिन पड़ रही है लेकिन किस दिन इसका व्रत और पूजा करनी है इसको लेकर थोड़ी दिक्कत है। बुध पूर्णिमा न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में इस दिन को खास माना जाता है। भगवान बुध को लेकर भी लोग इस दिन को अच्छे से मनाते हैं। भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए पूर्णिमा को खास माना जाता है। आइए जानते हैं।
क्यों खास है बुध पूर्णिमा
वैशाख मास खत्म होने को है और इस समाप्त होते माह में पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन भगवान बुध की जयंती भी होती है। इसी दिन उनका जन्म हुआ था। इसलिए इसे बुध पूर्णिमा भी कहते हैं। भगवान बुध ने दुनिया भर में अपना उपदेश दिया था और लोगों को सत्य व मानवता के रास्ते पर चलने को कहा था। उन्होंने पंचशील उपदेश दिए थे। जिसमें हिंसा, चोरी, व्यभिचार, झूठ और नशे से दूर रहने को कहा गया था। भगवान बुध को भगवान विष्णु का ही अवतार मानते हैं।
कब करें पूजा और क्या है विधि
बुध पूर्णिमा वैसे तो 15 मई की रात से ही शुरू हो गई है। यह आधी रात में 12 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर 16 मई को रात साढ़े 9 बजे तक रहेगी। लेकिन बुध पूर्णिमा 16 मई को मनाई जाएगी। क्योंकि उदया तिथि से ही व्रत और पूजा का विधान है इसलिए 16 मई ही श्रेष्ठ तिथि मानी जा रही है। इस दिन व्रत रखा जाएगा और विधि से पूजा की जाएगी। अगर रख सकते हैं तो बुध पूर्णिमा के दिन व्रत कर सकते हैं। पूर्णिमा में नदी में स्नान करना अच्छा माना जाता है। इसके बाद सूर्य को अर्घ्य देकर पीपल में जल चढ़ाएं। भगवान विष्णु की पूजा करें और रात में चंद्र देव की पूजा करें। इस दिन दान का महत्व है। यह काफी अच्छा माना जाता है।
GB Singh