हिंदुस्तान एक धार्मिक देश है. इस देश में लोग कुछ भी भूल सकते हैं, पर प्रभु की पूजा-अर्चना करना नहीं भूलते. भगवान के प्रति इसी आस्था का नतीजा है कि यहां हर गली-मोहल्ले में एक मंदिर ज़रूर होता है. इन मंदिरों में भक्तजन नियमित रूप से भगवान की पूजा करते है. हांलाकि, हिंदुस्तान में एक मंदिर ऐसा भी है जहां भगवान की पूजा नहीं होती. देश के इस अनोखे मंदिर में बुलेट मोटरसाइकिल की पूजा होती है. आपको सुन कर थोड़ी हैरानी हो सकती है, पर यही सच है. 
भारत में कहां है ये अनोखा मंदिर?
देश का ये अनोखा मंदिर राजस्थान में बना हुआ है. जोधपुर-पाली हाइवे के पास चोटिला नामक गांव है, जहां बुलेट वाले बाबा ओम बन्ना विराजमान हैं. आपके लिये ये जगह अंजान हो सकती है. पर जोधपुर-पाली हाइवे से गुज़रने वाले लोग मंदिर से अच्छी तरह वाकिफ़ हैं.
बाइक की पूजा क्यों होती है?
कहते हैं कि 1988 के आस-पास पाली निवासी ओम बन्ना अपनी बुलेट से कहीं जा रहे थे. इस दौरान रास्ते में एक्सीडेंट हुआ और उनकी मृत्यु हो गई. दुर्घटना के बाद उनकी बुलेट को थाना ले जाया गया था. पर अचानक वो बाइक पुलिस स्टेशन से ग़ायब हो गई. हैरानी वाली बात ये थी कि ओम बन्ना की गुमशुदा बुलेट उस जगह पाई गई, जहां उनका एक्सीडेंट हुआ था.
पुलिस ने पहले इस घटना को गंभीरता से नहीं लिया और दोबारा बाइक थाने में आ गई. इस बार पुलिस ने एहतियात बरतते हुए बाइक को चेन से बांध दिया. चेन से बंधी होने के बावजूद बाइक दोबारा थाने से ग़ायब हुई और घटनास्थल पर पहुंच गई. इस घटना ने गांव के लोगों को चमत्कार शब्द पर यकीन दिला दिया. इसके बाद से लोगों ने उस बाइक वहीं स्थापित कर दी और उसकी पूजा-अर्चना करने लगे.
दिन पर दिन बाबा ओम बन्ना और बाइक पर ग्रामीणों की आस्था बढ़ती चली गई. कहते हैं कि यहां आने वाले भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटते हैं.
आपको बता दें कि राजस्थानी बन्ना का शब्द का इस्तेमाल राजपूत परिवार के युवाओं के लिये करते हैं.
क्यों आना चाहिए ओम बन्ना मंदिर
अगर आपको इस अजीबोग़रीब मंदिर में दिलचस्पी नहीं है, तो ऐसी कई जगहें हैं, जिसे आप एक्सप्लोर करना पंसद करेंगी. दरअसल इस जगह पर आप राजस्थान के कल्चर और लाइफ़स्टाइल को क़रीब से जान सकती हैं. ओम बन्ना मंदिर के आसपास ऐसे कई टूरिस्ट प्लेस हैं जहां जाया जा सकता है. इसमें जोधपुर की ऐतिहासिक स्मारक और पानी के अन्य मंदिर शामिल हैं. परशुराम महादेव मंदिर, और जवाई डैम आदि भी शामिल हैं. कितना अजीब है न कि कोई पत्थर में आस्था ढूंढता है, तो कोई बाइक में.
By- कविता सक्सेना श्रीवास्तव
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