लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी की कैबिनेट ने पीसीएस परीक्षा में महत्वपूर्ण बदलाव को मंजूरी देकर अब साक्षात्कार की वैल्यू कम कर दी है। योगी सरकार ने पीसीएस परीक्षा के प्रतियोगी छात्रों के लिए बड़ा कदम उठाया है। उल्लेखनीय है कि इस परीक्षा में इंटरव्यू के अंकों में बेईमानी के आरोप कई बार लगे हैं। पारदर्शिता और सहूलियत के लिहाज से कैबिनेट ने सम्मिलित राज्य सिविल/प्रवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा के 1700 अंकों को घटाकर अब 1600 अंक के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसमें विशेष रूप से 200 अंक की जगह सिर्फ 100 अंक के इंटरव्यू होंगे।
मुख्यमंत्योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को लोकभवन में हुई कैबिनेट की बैठक में पीसीएस परीक्षा समेत कुल आठ प्रमुख प्रस्तावों पर मुहर लगी। कैबिनेट के फैसलों के बारे में राज्य सरकार के प्रवक्ता व मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि 2013 में केंद्र सरकार के सिविल सर्विसेज में इंटरव्यू का अंक घटा था। उसी तर्ज पर यह फैसला किया गया है। इसके लिए बनाई गई कमेटियों ने सुझाव दिया था कि इंटरव्यू का अंक कम किया जाए। हर जगह अब लिखित परीक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। इसलिए अब इंटरव्यू 200 की जगह 100 अंक का किया गया है। कुल परीक्षा 1600 अंकों की होगी, जिसमें 1500 अंक की लिखित परीक्षा होगी। हिंदी और निबंध के 150-150 अंक रहेंगे, जबकि सामान्य अध्ययन के 200-200 अंक के दो प्रश्नपत्रों की जगह अब 200-200 अंक के चार प्रश्न पत्र होंगे। सिद्धार्थनाथ ने बताया कि वैकल्पिक विषय में अब चिकित्सा विज्ञान को भी जोड़ा जाएगा।
यूपीएससी की तर्ज पर यूपी पीसीएस परीक्षा के इंटरव्यू के 100 अंक तय करने के जिस प्रस्ताव की अखिलेश सरकार ने अनदेखा की, उसी को बेहतर तरीके से तैयार कराकर योगी सरकार ने उस पर मुहर लगा दी है। इस कदम से परीक्षा की गुणवत्ता सुधारने की एक नई इबारत भी लिख दी गई है। सपा शासन में आयोग से यह प्रस्ताव तब गया था जब देशभर के लोकसेवा आयोगों की इलाहाबाद में हुई बैठक में इस पर विस्तार से मंथन हुआ था। यूपीएससी के पैटर्न पर यूपी पीसीएस की परीक्षा कराने का यह प्रस्ताव विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन सपा शासन (अक्टूबर 2016) में मंजूरी के लिए भेजा गया था। उस समय आयोग में अटल राय सचिव थे। प्रस्ताव को तैयार करने के लिए यहां देशभर से विशेषज्ञ बुलाए गए थे। इसमें पीसीएस परीक्षा गुणवत्तायुक्त कराने की परिकल्पना की गई थी। अखिलेश सरकार ने इस पर गंभीरता नहीं बरती और कई खामियां दर्शाते हुए उसे आयोग को वापस भेजते हुए संशोधन का निर्देश दिया। इसके बाद विधानसभा चुनाव हो गए तो जनता ने प्रदेश का निजाम ही बदल दिया।
इसमें यह भी अहम है कि आयोग से प्रस्ताव बनाकर भेजने जाने से पहले इलाहाबाद में देशभर के लोकसेवा आयोगों की महत्वपूर्ण बैठक हुई थी। जिसमें आयोग की परीक्षाओं पर लगातार उठ रही अंगुली, परीक्षा की गुणवत्ता में कमी तथा विशेषज्ञों के चयन में पूरी गंभीरता बरतने के साथ ही साक्षात्कार 200 नंबरों का होने के चलते धांधली की गुंजाइश को बताते हुए इसे 100 नंबर का कर देने की सिफारिश की गई थी। इलाहाबाद में बैठक होने के नाते उप्र लोकसेवा आयोग को संघ लोकसेवा आयोग की तर्ज पर परीक्षा कराने के लिए प्रेरित भी किया गया था। इसके बाद बने प्रस्ताव पर भी सपा शासन ने गंभीरता नहीं बरती, अब योगी सरकार ने पैटर्न में बदलाव को मंजूरी दी है।
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