नई दिल्ली: सीबीआई के प्रमुख पद के लिए नया नाम तय करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति की गुरुवार को बैठक होगी। जिसमें जांच एजेंसी के नए निदेशक के लिए संभावित नामों पर चर्चा होगी। अधिकारियों ने बताया कि समिति की बैठक में प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई या उनके प्रतिनिधि और लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े शरीक होंगे।
बैठक में जिन अधिकारियों के नामों पर चर्चा होगी, उनमें मुंबई पुलिस कमिशनर सुबोध कुमार जायसवाल, उत्तर प्रदेश डीजीपी ओपी सिंह और राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए के प्रमुख वाईसी मोदी शामिल हैं। इनके अलावा 1982 बैच के आईपीएस अधिकारी जेके शर्मा और परमिंदर राय शामिल हैं। वे वरिष्ठतम हैं लेकिन सीबीआई में उनके पास अनुभव का अभाव है। राय हरियाणा कैडर के हैं जो 31 जनवरी 2019 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। वह अभी राज्य सतर्कता ब्यूरो के महानिदेशक हैं जो उन्हें इस शीर्ष पद के लिए योग्य बनाता है।
विशेष सचिव आंतरिक सुरक्षा, गृह मंत्रालयए रीना मित्रा एक अन्य दावेदार हैं। वह 1983 बैच की हैं। वह सीबीआई में पांच साल तक सेवा दे चुकी हैं। वह मध्य प्रदेश राज्य सतर्कता ब्यूरो में लंबे समय तक रही हैं जहां उन्होंने भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों को देखा। अधिकारियों ने बताया कि यदि उनका चयन होता है तो वह सीबीआई की पहली महिला निदेशक होंगी। उन्होंने बताया कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनॉलजी एंड फोरेसिंक साइंसेज के मौजूदा प्रमुख एवं 1984 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी जावेद अहमद भी दावेदार हैं।
उन्होंने उप्र का डीजीपी रहने के दौरान ट्विटर पहुंच अभियान यूपी 100 और महिलाओं के लिए विशेष हेल्पलाइन जैसी कई पहल का नेतृत्व किया था। अधिकारियों ने बताया कि उनके लगभग बराबर अनुभव रखने वाले राजस्थान के पूर्व डीजीपी ओपी गलहोत्रा सीबीआई में 11 साल सेवा दे चुके हैं। उन्होंने बताया कि गलहोत्रा के ही बैच के उप्र कैडर के एचसी अवस्थी ने जांच एजेंसी में आठ साल सेवा दी है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआई के महानिदेशक एवं 1984 बैच के असम-मेघालय कैडर के आईपीएस अधिकारी वाईसी मोदी सीबीआई में शीर्ष पद की दौड़ में पसंदीदा बताए जा रहे हैं। वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच टीम एसआईटी का हिस्सा रहे थे जिसने गुजरात में हुए 2002 के दंगों की जांच की थी। एसआईटी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले में क्लीन चिट दे दी थी।
अधिकारियों ने बताया कि बिहार कैडर के 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी राजेश रंजन ने सीबीआई में करीब पांच साल सेवा दी है और इंटरपोल में भी रहे हैं। उत्तर प्रदेश कैडर के 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी एवं बीएसएफ महानिदेशक रजनीकांत मिश्रा को भी सीबीआई निदेशक पद की दौड़ में आगे बताया जा रहा है। वह अगस्त 2019 में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। वह सीबीआई में पांच साल रह भी चुके हैं।
उन्होंने बताया कि अन्य दावेदारों में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के डीजी एसएस देशवाल के पास भी सीबीआई में कामकाज का पांच साल का अनुभव है। आरूषि मामले की जांच करने वाली सीबीआई की प्रथम टीम का नेतृत्व करने वाले उप्र कैडर के 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी अरूण कुमार भी दौड़ में हैं। अन्य दावेदारों में केरल कैडर के 1985 बैच के रिषी राज सिंह और लोकनाथ बेहरा शामिल हैं जिनके पास सीबीआई का क्रमशरू छह और 10 साल का अनुभव है।
दिल्ली के पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक को भी शार्टलिस्ट किया गया है लेकिन उनके पास सीबीआई में काम करने का अनुभव नहीं है। दरअसल 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी आलोक वर्मा ने 10 जनवरी को सीबीआई प्रमुख पद से खुद को हटाए जाने के बाद अपनी सेवानिवृत्ति से तीन हफ्ते पहले नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। इसलिए वर्मा के स्थान पर नये निदेशक की नियुक्ति के लिए चयन समिति की यह बैठक होने वाली है।(Input-Zee News)