सीबीएसई पेपर लीक मामले में पुलिस ने कई संदिग्धों से पूछताछ की है. इस बीच यही सवाल उठता रहा है कि आखिर वह कौन है जिसने इस पूरे मामले को उजागर करने का व्हिसिल ब्लोअर का काम किया है. इस सिलसिले में पश्चिमी दिल्ली के एक 10वीं के छात्र का नाम सामने आ रहा है. कहा जा रहा है कि इस पूरे मामले में यही छात्र व्हिसिल ब्लोअर है जिसने सीबीएसई की चेयरपर्सन को इस मामले की सबसे पहले जानकारी दी थी.
व्हिसिल ब्लोअर
अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार 27 मार्च की देर रात 1.39 बजे सीबीएसई की चेयरपर्सन अनिता कारवाल के ऑफिशियल ई-मेल एड्रेस पर एक मेल आया. उसमें बताया गया कि वाट्सऐप पर क्लास 10वीं के मैथ्स का पेपर लीक हो गया है. इस व्हिसिल ब्लोअर ने अपने पिता के अकाउंट से इस मेल को भेजा था और आग्रह किया था कि इस पेपर को रद कर दिया जाए.
पुलिस में शिकायत
लेकिन अगली सुबह पेपर अपने तय समय के अनुसार संपन्न हुआ. हालांकि सीबीएसई ने उसी दिन पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. लिहाजा क्राइम ब्रांच ने 28 मार्च की रात आठ बजे सीबीएसई द्वारा पेश किए गए इसी ई-मेल के आधार पर पहली एफआईआर दर्ज की. नतीजतन एसआईटी ने मामले की जांच के लिए गूगल से संपर्क साधा और मेल भेजने वाले का आईपी एड्रेस मांगा. इसके जरिये पुलिस मेल भेजने वाले तक पहुंची. वहां पुलिस को पता चला कि मेल भेजने वाला 16 साल का छात्र है और उसने पिता के अकाउंट से ई-मेल भेजा था.
वह दिल्ली के एक क्लब में काम करते हैं. इसके साथ ही पुष्टि करते हुए कहा कि उनके बेटे ने ही वह मेल सीबीएसई को भेजा था. उन्होंने बताया, ”मेरे बेटे ने वाट्सऐप के जरिये एक दोस्त से मैथ्स का पेपर मिला. उसने परेशान होते हुए मुझसे कहा कि सीबीएसई को इस बारे में बताना चाहिए और परीक्षा रद होनी चाहिए. उसके बाद उसने पेपर की कॉपी को ई-मेल में अटैच करके भेज दिया…मेरे बेटे ने बताया कि उसने मेरे फोन से इस ई-मेल को भेजा. इसीलिए पुलिस एफआईआर में मेरा ई-मेल एड्रेस दर्ज है.”
सीबीएसई
सीबीएसई चेयरपर्सन अनिता कारवाल ने भी इस बात की पुष्टि की है कि उनको परीक्षा से पहले यह मेल मिला था. उन्होंने कहा, ”उस मेल में प्रश्न पत्र अटैच था. जब परीक्षा में यही पेपर सामने आया तो हमने पुलिस में केस दर्ज कराया.” इस मामले में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव (स्कूली शिक्षा) अनिल स्वरूप ने कहा कि यह मेल देर रात 1.39 बजे भेजा गया था लेकिन ऑफिशियल एड्रेस पर भेजे जाने के कारण इसको अगली सुबह 8.55 बजे देखना संभव हुआ. उसके बाद क्रॉस-चेक के लिए इसको एक्जाम कंट्रोलर के पास भेजा गया लेकिन नियमों के मुताबिक पेपर को सुबह 9.30 बजे से पहले खोला नहीं जा सकता था. उसके बाद जब इसको क्रॉस-चेक किया गया तब तक पेपर शुरू हो चुका था और उसको कैंसिल करना उस वक्त संभव नहीं था.
विक्की वाधवा (40)
इस बीच एसआईटी मामले की जांच कर रही है. पुलिस के शक की सुई दिल्ली में ओल्ड राजेंद्र नगर में कोचिंग चलाने वाले विक्की की तरफ घूम रही है. उसको मिलाकर पुलिस अब तक 34 लोगों से पूछताछ कर चुकी है. इस मामले के तार झारखंड के चतरा से भी जुड़ रहे हैं.
1. विक्की, दिल्ली यूनिवर्सिटी से कॉमर्स ग्रेजुएट है. उसने 1996 में ग्रेजुएशन किया.
2. 1994 में दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में विक्की ने मैथ्स ओर साइंस विषय पढ़ाने के लिए कोचिंग सेंटर शुरू किया. वह मैथ्स और इकोनॉमिक्स विषय पढ़ाता है.
3. रिपोर्टों के मुताबिक विक्की को जब पूछताछ के लिए पकड़ा गया तो उसके छात्रों ने उसका समर्थन किया और कहा कि इस तरह की किसी भी गतिविधि में वह शामिल नहीं हो सकता.
4. रिपोर्टों के मुताबिक दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच फिलहाल उससे पूछताछ कर रही है.
5. कहा जा रहा है कि वह अन्य लोगों के साथ मिलकर प्रश्न पत्रों को 10-15 हजार रुपये में बेच देता था.
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