धनतेरस : कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन धनतेरस का पर्व मनाते हैं। धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी और धन के देव कुबेर की आराधना की जाती है। इसके अलावा आरोग्य देव भगवान धनवंतरि की भी पूजा करते हैं। दिवाली से पहले लोग खरीदारी के लिए इस दिन को काफी शुभ मानते हैं। लोग काफी खरीदारी करते हैं। इस दिन प्रदोषकाल में यमराज के लिए चौमुखा दीपक मुख्य द्वार पर जलाते हैं। शुभ पूजा का मुहूर्त दो नवंबर को शाम सवा छह बजे से रात सवा आठ बजे तक है।
नरक चतुर्दशी : महापर्व के दूसरे दिन नरक चतुर्दशी का पर्व होता है। इस दिन को छोटी दिवाली के नाम से भी जानते हैं और तीन नवंबर को यह मनाया जाएगा। नरक संबंधित दोष को दूर करने के लिए इस दिन भी शाम के समय दिया जलाते हैं। घर के कोनों में दीपक जलाते हैं और अकाल मृत्यु से दूर होने की कामना करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन सुबह उबटन लगाकर नहाना चाहिए। इसका समय सुबह छह बजकर छह मिनट से साढ़े छह बजे तक है।
दिवाली : इस महापर्व का सबसे बड़ा पर्व दिवाली है जो 4 नवंबर को है। इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान गणेश की पूजा की जाती है। साथ ही कुबेर के देवता की भी पूजा करते हैं। बंगाली समुदाय के लोग इस दिन मां काली की पूजा करते हैं। यह अमावस्या की सबसे बड़ी रात कही जाती है। घरों को सजाते हैं और दीप जलाते हैं। दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा के लिए समय शाम सवा छह बजे से रात आठ बजे तक है।
गोवर्धन पूजा : दिवाली के एक दिन बाद गोवर्धन पूजा है। इसे जमघट भी कहते हैं। यह पांच नवंबर को है और अन्नकूट उत्सव भी कहते हैं। इस दिन गाय की पूजा की जाती है और गोवर से गोवर्धन बनाते हैं। भगवान कृष्ण को 56 भोग अर्पित करते हैं। शुभ मुहूर्त सुबह साढ़े 6 बजे से आठ बजकर 47 तक है।
भाईदूज : भाईदूज का त्योहार दिवाली के आखिरी दिन मनाया जाता है। इस दिन बहने अपने भाई को तिलक करती हैं और भाई उन्हें उपहार देते हैं। इसे यम द्वितीया करते हैं। छह नवंबर को भाई दूज दोपहर सवा एक बजे से साढ़े तीन बजे तक है।
GB Singh
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