नई दिल्ली, केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर शुल्क कटौती करके घरेलू बाजार में कीमतों को थामने की जो कोशिश की है, उस पर पानी फिर सकता है। लगभग 15 दिनों तक कच्चे तेल के 110 डालर प्रति बैरल के आसपास रहने के बाद सोमवार को यह 119 डालर प्रति बैरल को पार कर गया है। अगर इसी स्तर पर यह आगे भी बना रहता है तो तेल कंपनियों को पेट्रोल-डीजल की खुदरा कीमत बढ़ानी पड़ सकती है। जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में कच्चे तेल की कीमतें क्या रहेंगी, यह इस बात से तय होंगी कि रूस के क्रूड आयात करने को लेकर यूरोपीय देशों के बीच क्या सहमति बनती है।

सोमवार देर शाम यूरोपीय देशों की बैठक होने वाली है जिसमें रूस से क्रूड आयात करने को लेकर फैसला होने की संभावना जताई जा रही है। अभी तक जो सूचनाएं आ रही हैं उसके मुताबिक हंगरी, चेक, बुल्गारिया,, स्लोवाकिया, रोमानिया जैसे कई देश रूस से क्रूड खरीदने पर तत्काल रोक लगाने के पक्ष में नहीं है। माना जा रहा है कि अगर यूरोपीय देश रूस से क्रूड नहीं खरीदने का फैसला करते हैं तो इसकी वजह से क्रूड की कीमतें और आसमान छू सकती हैं। यूरोपीय देशों की तरफ से रूस से कच्चा तेल नहीं खरीदने का फैसला भारत पर भी असर डालेगा।
पेट्रोल और डीजल पर वैट घटा सकते हैं राज्य!
केंद्र सरकार की तरफ से पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में कटौती के बाद राज्य आसानी से एक-एक रुपये तक डीजल व पेट्रोल पर लगने वाले वैट में कमी कर सकते हैं। एसबीआइ ईकोरैप के अनुमान के मुताबिक, पेट्रोल पर एक रुपया वैट कम करने से राज्यों पर 4500 करोड़ रुपये का बोझ आएगा जबकि डीजल पर एक रुपया वैट कम करने से सभी राज्यों को मिलाकर 9500 करोड़ रुपए का नुकसान होगा।
हालांकि, रिपोर्ट के अनुसार इससे राज्यों की वित्तीय सेहत पर फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि पिछले साल जब केंद्र ने उत्पाद शुल्क बढ़ाए थे तो राज्यों को भी इसका फायदा मिला था। बता दें कि केंद्र की तरफ से वसूल जाने वाले उत्पाद शुल्क में राज्यों की भी हिस्सेदारी होती है। हालांकि, इस माह पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले सड़क और इन्फ्रा सेस को केंद्र ने कम किया है और वित्त मंत्री के मुताबिक इससे राज्यों को कोई नुकसान भी नहीं होगा।
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