वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को पेश किए केंद्रीय बजट में भारत को एक नई मुद्रा से परिचित कराने का एलान किया है। यह डिजिटल मुद्रा होगी जो पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण में होगी। डिजिटल मुद्रा के आने से भारत में कामकाज जहां आसान होगा वहीं, नकदी की समस्या से भी छुटकारा मिलेगा। बताया जा रहा है कि डिजिटल मुद्रा के आने से भारत में अर्थव्यवस्था और तेज भागेगी। सरकार का कहना है कि इस मुद्रा को इसी साल वित्तीय वर्ष यानी अप्रैल से शुरू किया जा सकता है। वहीं, सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी में मुनाफे को भांपते हुए इसमें 30 फीसद कर लगाने का एलान भी कर दिया है। हालांकि क्रिप्टो करेंसी से भारत की डिजिटल करेंसी अलग है। डिजिटल मुद्रा है क्या और यह आम और खास लोगों के बीच किस तरह से काम करेगी। आइए जानते हैं आसान भाषा में।
डिजिटल करेंसी को समझें
भारत में जो डिजिटल करेंसी शुरू की जाएगी वह भी पूरी तरह आरबीआई यानी भारतीय रिजर्व के नियंत्रण में होगी। इसका नाम भी अभी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी रखा गया है। हालांकि आगे चलकर इसमें तब्दीली होने की भी संभावना बन सकती है। यह करेंसी भी रिजर्व बैंक ही जारी करेगा और सरकार की ओर से इसको मान्यता दी जाएगी। यह करेंसी सेंट्रल बैंक की बैलेंसशीट में भी शामिल हो सकेगी। अभी तक आपने सावरेन गोल्ड का नाम सुना होगा जो सरकार जारी करती है साल में कई बार। यह डिजिटल करेसी भी सावरेन गोल्ड की तरह सावरेन करेंसी में बदली जा सकेगी। इसे हम लोग डिजिटल रूपया कहेंगे। अभी बताया जा रहा है कि डिजिटल करेंसी को खुदरा और थोक दोनों में जारी किया जाएगा। खुदरा करेंसी आम नागरिक और कंपनियां उपयोग में लाएंगी तथा थोक करेंसी को वित्त से जुड़ी संस्था काम में लाएगी। यह करेंसी ब्लॉकचेन के रूप में काम करेगी।
ब्लॉकचेन क्या है
ब्लॉकचेन का डिजिटल करेंसी में क्या मतलब है। विशेषज्ञों की मानें तो ब्लॉक और चेन को आसान भाषा में ऐसे समझा जा स कता है कि यह तकनीक में काफी डेटा ब्लॉक को बताते हैं। ये ही वो ब्लॉक होंगे जिसमें आप अपनी करेंसी को रख सकते हैं यानी उससे संबंधित आंकड़ें रख सकते हैं। अलग-अलग ब्लॉक होंगे तो उसमें करेंसी का डेटा भी अलग होगा। हालांकि यह एक दूसरे से जुड़े हुए होंगे। यह एक लंबी शृंखला बनाते हैं जिन्हें ही चेन कहते हैं। नया डेटा यानी आंकड़ा आते ही उसको इसमें जोड़ लिया जाता है। इसी तरह ये ब्लॉक चेन बनते रहते हैं। इसके अलावा डेटा यानी आंकड़े हर ब्लॉक में होगा। इसमें हैश होगा। अगर आप ऐसे देखें जैसे कोई बिटक्वाइन है और उसमें ब्लॉकचेन बनी हुई है। हर ब्लॉकचेन में एक आंकड़ा होगा और यह आंकड़ा आपके भुगतान की जानकारी का होगा। यह सब इन्हीं प्रक्रिया से जुड़ा है। इसमें हैश को भी समझना जरूरी है। हैश वह है जो आधार के नंबर की तरह सबका अपना अलग-अलग होता है। इससे आपकी पहचान हो सकेगी। हैश ब्लॉक से जुड़े होते हैं। अगर ब्लॉक में कोई बदलाव हुआ तो हैश भी बदल जाएगा। ये सब एक दूसरे से जुड़े होते हैं।
बिटक्वाइन और डिजिटल करेंसी ब्लॉकचेन में क्या अंतर है
बिटक्वाइन और डिजिटल करेंसी में ब्लॉकचेन में काफी अंतर है। यह समझना आवश्यक है। दोनों पूरी एक दूससरे से जुड़े हुए नहीं हैं बल्कि अगल हैं। ब्लॉकचेन एक तकनीक और इसके माध्यम से डिजिटल करेंसी का पूरा रिकॉर्ड आप संभाल कर रख सकते हैं। ब्लॉकचेन में ही डिजिटल करेंसी के भुगतान से जुड़ी तमाम जानकारियों का खजाना होता है। लेकिन बिटक्वाइन आपके डाटा को संभालता नहीं है बल्कि इससे चीजों को खरीदा और बेचा जाता है। यह खरीद और बेचने के लिए एक माध्यम है। लेकिन इसे करेंसी नहीं कहते हैं क्योंकि अभी इसे कहीं मान्यता नहीं दी गई है। क्रिप्टोकरेंसी को भी ब्लॉकचेन के माध्यम से ही चलाते हैं।
GB Singh