चैत्र मास हिंदू धर्म में काफी खास माना जाता है। इस मास में नवरात्रि का पर्व होता है जिसमें नौ दिनों तक सभी व्रत करते हैं। दूसरा इसी माह में नया वर्ष भी शुरू होता है जो हिंदुओं के पंचांग के अनुसार मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तिथि तक होती है। दशमी के दिन कलश का विसर्जन किया जाता है और नवरात्रि को पारण होता है। वैसे तो नवरात्रि के नौ दिन होने की वजह से इसे नवरात्रि कहते हैं लेकिन कभी-कभी यह आठ और सात दिन की भी होती है। आइए जानते हैं।
पूरे दिनों का होगा व्रत
माता दुर्गा और उनकी शक्तियों को याद करने का दिन है नवरात्रि। इस बार यह दो अप्रैल से शुरू हो रहा है और 11 अप्रैल तक चलेगा। नवरात्रि में माता दुर्गा के नौ अलग रूपों की पूजा करते हैं और लोग व्रत करते हैं। माता इस बार घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं। जिसे कई मायनों में अच्छा और बुरा माना जाता है।
क्या है कलश स्थापना का समय और विधि
चैत्र नवरात्रि में माता दुर्गा की पूजा के लिए कलश की स्थापना की जाती है। इसमें कलश की स्थापना सुबह 6:10 बजे से लेकर साढ़े आठ बजे तक होगी। कलश स्थापना के लिए प्रतिपदा तिथि को ही सही समय माना गया है। अगर शुभ घड़ी में कलश की स्थापना न की जाए तो सही नहीं माना जाता है। इसलिए पूजा शुभ मुहूर्त में करनी आवश्यक होती है। कलश की स्थापना के लिए सुबह उठ जाना चाहिए और सूर्योदय से तीन घंटे के अंदर ही स्थापना करनी चाहिए। कहा जाता है कि अगर सूर्योदय में नहीं अभिजीत मुहूर्त में यानी सुबह सूर्य चढ़ने के बाद तक के मुहूर्त में स्थापना कर सकते हैं। इसमें मिट्टी के कलश पर धान व जौ बोए जाते हैं और उसमें मौली बांधते हैं। फिर उस पर नारियल रखते हैं और माता का आह्वान करते हैं।
GB Singh