तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मौत की जांच के आदेश दे दिए गए हैं. राज्य के मुख्यमंत्री ई पलानीसामी ने एआईएडीएमके की पूर्व प्रमुख जयललिता की मौत की जांच के आदेश दिए हैं. ये आदेश ऐसे समय में आए हैं जब पलानीसामी और पनीरसेल्वम वाले पार्टी के दोनों धड़ों के मर्जर की तैयारियां चल रही हैं.#अनुमान: अब अगले साल तक बढ़ेगी महंगाई, और नहीं कम होगी आपकी EMI
गौरतलब है कि जयललिता की मौत के बाद जब शशिकला गुट ने अपने विश्वस्त पलानीसामी को मुख्यमंत्री पद पर बैठा दिया तो पनीरसेल्वम गुट ने जयललिता की मौत के कारणों पर संदेह व्यक्त करते हुए इस मामले में जांच की मांग उठा दी. पनीरसेल्वम की इस मांग को काफी समर्थन भी मिला.
मुख्यमंत्री ई. पलानीसामी ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री की मौत की जांच के लिए रिटायर्ड जज की अगुवाई में कमीशन का गठन किया है. साथ ही जयललिता के पोएस गॉर्डन आवास को मेमोरियल के रूप में विकसित किया जाएगा.
बता दें कि 5 दिसंबर 2016 को तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता का निधन हो गया था. पलानीसामी ने कहा कि अम्मा ने लोगों की भलाई के लिए कड़ी मेहनत की. उनके चाहने वालों की मांग पर उनके आवास पोएस गॉर्डन को मेमोरियल बनाया जाएगा.
डॉक्टर ने किया था साजिश से इनकार
तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता के डॉक्टर रिचर्ड बेल ने कहा था कि जयललिता की मौत ऑर्गन फेलिअर की वजह से हुई थी. जयललिता की मौत के दो महीने बाद चेन्नई में ब्रिटिश डॉक्टर रिचर्ड बेल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जयललिता की मौत की वजह को साफ किया था. डॉक्टर बेल अपोलो में जयललिता का इलाज कर रही टीम के संपर्क में थे.
डॉक्टर बेल ने कहा कि जयललिता गंभीर डायबिटीज की मरीज थीं और वो गंभीर संक्रमण का शिकार हो गई थीं. जिसकी वजह से उनके शरीर के अंगों ने काम करना बंद कर दिया और उनकी मौत हो गई. उन्होंने कहा कि ये बहुत ही जटिल मामला था इसमें किसी तरह की कोई साजिश नहीं है.
तस्वीर जारी करना निजता का अतिक्रमण था
इलाज के दौरान जयललिता की कोई भी तस्वीर ना जारी करने के सवाल पर डॉक्टर बेल ने कहा कि ये नियमों के खिलाफ था और हमें ऐसा करने के आदेश नहीं थे. जब कोई मरीज गंभीर हालत में होता है तब उसकी फोटो लेकर जारी करना उसकी निजता का अतिक्रमण है.
ब्रिटिश डॉक्टर बेल ने कहा था कि हमारी टीम ने जयललिता को बेहतर से बेहतर इलाज मुहैया कराया गया था. उन्होंने कहा कि जयललिता को खून में गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण था जो खून के साथ शरीर के अंगों में फैल गया, जिसके चलते उन्हें सांस लेने में दिक्कत आने लगी.
शशिकला के भतीजे के पास हैं ‘सबूत’
जयललिता की खासमखास रहीं शशिकला के भतीजे जयानंद दिवाकरन ने कुछ दिन पहले जयललिता के आखिरी दिनों के वीडियो जारी करने की धमकी दी थी. दिवाकरन ने इस सिलसिले में फेसबुक पर संदेश पोस्ट किया था. इस पोस्ट में दिवाकरन ने लिखा था कि ये वीडियो ‘अम्मा’ (जयललिता) और ‘चिनम्मा’ (शशिकला) के बीच करीबी रिश्तों को साबित करने के लिए काफी होंगे. उन्होंने अस्पताल में इलाज के दौरान जयललिता की तस्वीर ना जारी करने की वजह भी बताने का दावा किया है.
दिवाकरन के मुताबिक, ‘कातिल होने की तोहमत लगने के बाद भी शशिकला ने जयललिता की तस्वीरें जारी नहीं की. वो नहीं चाहती थीं कि जयललिता के दुश्मन उन्हें अस्पताल के हरे गाउन में देखें. ये फैसला शशिकला का था. हमने जयललिता को आखिरी विदाई तक एक शेर की तरह रखा. लेकिन पन्नीरसेल्वम ने महज वोट बटोरने के लिए उनके शव को ताबूत में डालकर घुमाया. ‘सच मजबूत है. अगर कभी जयललिता और शशिकला के बीच की बातचीत के वीडियो सामने आए तो क्या होगा? हम पी एच पांड्यन और मनोज पांड्यन के साथ क्या करेंगे?’
गौरतलब है कि 5 दिसंबर को जयललिता की मौत के बाद पन्नीरसेल्वम के करीबी पांड्यन बंधुओं ने ही सबसे पहले उनके मर्डर का आरोप लगाया था. इसके बाद पन्नीरसेल्वम लगातार दावा कर रहे हैं कि जयललिता को शशिकला के परिवार ने जानबूझकर मारा ताकि उनकी विरासत पर कब्जा किया जा सके.