योगी आदित्यनाथ सरकार ने अगले चार वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे पेयजल आपूर्ति का लक्ष्य तय कर दिया है। इस काम पर करीब 14,800 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। मुख्य सचिव राजीव कुमार ने वित्त विभाग को इसके लिए बजट व्यवस्था का रास्ता निकालने का निर्देश दिया है।
ग्राम्य विकास विभाग ने प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे पेयजल आपूर्ति की कार्ययोजना बनाकर मुख्य सचिव से इसकी बजट व्यवस्था कराने का आग्रह किया था। इसके बाद मुख्य सचिव ने ग्राम्य विकास विभाग के साथ-साथ वित्त, औद्योगिक विकास, वाह्य सहायतित परियोजना, पंचायतीराज विभाग के अफसरों की बैठक बुलाकर इस संबंध में विस्तार से चर्चा की।
बैठक में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि मुख्य सचिव ने वित्त विभाग के अफसरों को पेयजल कार्यों के लिए चार वर्षों में 14,800 करोड़ रुपये की व्यवस्था का रास्ता तलाशने का निर्देश दिया है। उन्होंने इसके लिए कई सुझाव भी दिए हैं।
वित्त विभाग इन सुझावों का अध्ययन कर प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास को बताएगा। ग्राम्य विकास विभाग उसके हिसाब से आगे की कार्यवाही करेगा। इसका फायदा सबसे पहले बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र के अलावा पेयजल की गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को मिलेगा।
मुख्य सचिव के सुझाव
– ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे पेयजल के लिए जरूरी पूरी रकम राज्य सरकार के बजट से उपलब्ध कराई जाए।
– मल्टी लेटरल संस्थाएं, जैसे- विश्व बैंक, एडीबी व जायका आदि से ऋण प्राप्त करने के लिए बजट में फिस्कल स्पेस उपलब्ध कराया जाए।
– वित्तीय संस्थानों, हुडको से ऋण के लिए ग्राम्य विकास विभाग के अधीन किसी संस्था को राज्य सरकार की काउंटर गारंटी दिलाई जाए।
– जल कर से निकालेंगे परियोजना का खर्च।
– पेयजल योजनाओं के संचालन पर होने वाले सामान्य खर्च की प्रतिपूर्ति जलकर/जलमूल्य से की जाएगी। इसके लिए राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वे कराएगा।
– बुंदेलखंड व विंध्य में एक-एक जिले को सबसे पहले पाइप से पानी।
– मुख्य सचिव ने बुंदेलखंड, विंध्य व काली तथा कृष्णा नदी के समीपवर्ती सभी जिलों में पाइप से पेयजल की आपूर्ति के लिए जिलेवार कार्ययोजना बनाने को कहा है। सबसे पहले बुंदेलखंड व विंध्य क्षेत्र के एक-एक जिले के लिए एजेंसी का चयन किया जाएगा।