Breaking: बौद्घ भिक्षु प्रज्ञानंद के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे सीएम योगी आदित्यनाथ!
इस इम्तिहान में वह 16 महानगरों में से14 में पार्टी के महापौर जिताकर और छोटे निकायों में पहले की तुलना में अच्छी सफलता हासिल कर न सिर्फ अच्छे नंबरों से पास रहे बल्कि विधानसभा चुनाव के आसपास ही पार्टी का मत प्रतिशत बरकरार रखकर डिस्टिंकशन मार्क्स लेने में सफल रहे।
हालांकि उनकी परीक्षाओं का सिलसिला इस चुनाव के साथ खत्म नहीं हुआ है। इसमें दो राय नहीं कि इन नतीजों के बाद भाजपा नेतृत्व का उन पर न सिर्फ भरोसा बढ़ा होगा बल्कि उनके लिए भविष्य की राह भी आसान हो गई है। दरअसल, यह चुनाव एक तरह से योगी सरकार के आठ महीने के कामकाज की समीक्षा भी थे।
जिस तरह उनको और उनके फैसलों को लेकर पार्टी के भीतर और बाहर अंदरखाने कई सवाल उठ रहे थे। लोग आशंकित थे कि उनके जैसा हिंदुत्ववादी चेहरा कहीं गोरक्ष पीठ के महंत की तरह ही आगे बढ़ा तो मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण भाजपा का मुकाबला कड़ा न बना दे।
मगर भाजपा की सफलता का परचम फहराकर उन्होंने साबित कर दिया कि भले ही वह पहली बार किसी प्रशासनिक और इतने बड़े पद को संभाल रहे हों लेकिन वह अनुभवहीन नहीं है। उन्होंने जो भी फैसले किए हैं, नतीजों ने उन पर मुहर लगा दी है।
निकाय चुनाव में जीत का परचम फहराने के साथ उन्होंने इन सभी सवालों और आशंकाओं पर विराम लगा दिया। वह पुराने तेवरों को काफी पीछे छोड़ चुके हैं। यह भी बता दिया है कि मुख्यमंत्री के रूप में उनके लिए अब भाजपा ही अव्वल है।यह योगी के साथ भाजपा की भी सफलता है।
हालांकि निकाय चुनाव के नतीजे योगी को उस परीक्षा में पास होने के लिए बड़ा मनोवैज्ञानिक लाभ देंगे लेकिन इतने भर से उनकी चुनौतियां कम नहीं होने वाली। खासतौर से जिस तरह इस चुनाव में बसपा ने कई जगह भाजपा को कड़ी टक्कर दी है उसको देखते हुए योगी को खास तैयारी करनी होगी।