मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आंबेडकर महासभा की ओर से दलित मित्र सम्मान देने के फैसले पर खींचतान शुरू हो गई है। महासभा के ही संस्थापक सदस्य पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी और पूर्व आईएएस अधिकारी हरीश चंद्र ने इसे गलत बताया है।
दोनों ने आमसभा बुलाकर डॉ. लालजी निर्मल पर कार्रवाई की मांग की है। दारापुरी का तर्क है कि सामान्य एवं प्रबंधकारिणी की बैठक में इस तरह का फैसला नहीं किया गया।
वहीं, डॉ. निर्मल का कहना है कि प्रत्येक फैसले के लिए आमसभा की बैठक नहीं बुलाई जाती। फैसले मुख्य रूप से पदाधिकारी ही लेते हैं। जो इस निर्णय के खिलाफ हैं वह उचित फोरम पर बात करें, सुर्खियां न बटोरें।
इस तरह के सम्मान का कोई प्रावधान नहीं : दारापुरी
महासभा के संस्थापक सदस्य पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी का आरोप है कि दलितों पर फर्जी मुकदमे लिखे जा रहे हैं। फिर महासभा के संविधान में इस तरह के सम्मान देने देने का कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने दावा किया कि विरोध सिर्फ अकेले वह या हरिश्चंद्र ही नहीं बल्कि कई संस्थापक सदस्य कर रहे हैं।
योगी ने डॉ. आंबेडकर के हर स्थान पर लगवाए चित्र : निर्मल
डॉ. लालजी निर्मल का कहना है कि वह समाज की भलाई के लिए हर सरकार को अपना मानते हैं। दलितों के नाम पर सियासत करने वालों को आपत्ति हो रही है। डॉ. आंबेडकर और दलितों के लिए मोदी और योगी सरकार ने जो किया उससे वह दलितों के मित्र ही हैं। योगी ने डॉ. आंबेडकर का हर स्थान पर चित्र लगाकर उन्हें सम्मान दिया है।