मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार मेरठ पहुंचे योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को सरकारी खरीद केंद्र पर जाकर इस बात का मुआयना किया कि किसानों से अनाज खरीदने में सरकारी व्यवस्था ठीक से काम कर रही है या नहीं. इसके लिए योगी मेरठ जिले के खरखौदा में एक सहकारी केंद्र पर गए और वहां के इंतजाम को देखा. हालांकि इस केंद्र पर मुख्यमंत्री के आने की जानकारी पहले से थी. लिहाजा सारी व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी गई थी. अधिकारी समय से मुस्तैद थे और पूरे सेंटर को साफ सुथरा कर दिया गया था.ये भी पढ़े: अभी-अभी: सामने आया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर ठगी का ये बड़ा जाल, पार्टी में मचा
इस समय गेहूं की फसल लेकर तमाम किसान क्रय केंद्र पर जाते हैं. आमतौर पर ऐसी शिकायतें मिलती हैं कि ऐसे सेंटर पर किसानों को अपना अनाज बेचने के लिए काफी लंबा इंतजार करना पड़ता है. खुले आसमान के नीचे बोरियों में भरे अनाज को लेकर इंतजार करना किसानों के लिए परेशानी का सबब बन जाता है.
ऐसी भी शिकायतें मिलती हैं कि खरीद के समय घटतौली की जाती है यानी जितना गेहूं खरीदा जाता है, उसका वजन कम दिखाया जाता है और बीच का मुनाफा कर्मचारी और अधिकारी मिलकर चटकर जाते हैं. कई बार अनाज खरीदने के बाद किसानों को पैसा मिलने में देर लगती है.
खरखौदा में सहकारी केंद्र पर मुख्यमंत्री ने किसानों से इन्हीं परेशानियों के बारे में पूछा. कम से कम इस सेंटर पर तो किसानों ने मुख्यमंत्री को यही बताया कि उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी नहीं आ रही है और कीमत भी सही समय पर मिल रही है. इस समय उत्तर प्रदेश में गेहूं की खरीद का समर्थन मूल्य 1625 रुपये प्रति क्विंटल है. खरखोदा सेंटर पर अपना गेहूं लेकर आए किसान खड़क सिंह से मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने पूछा कि ऐसा तो नहीं हो रहा है कि खरीदने में लगे सरकारी कर्मचारी उनके अनाज को खराब बता रहे हो?
खड़क सिंह ने मुख्यमंत्री को बताया कि ऐसा अब नहीं हो रहा है. कई बार ऐसे खरीद केंद्रों पर कर्मचारी अनाज को खराब बताकर किसानों को परेशान करते हैं और अक्सर रिश्वत लेने के बाद ही उनका अनाज खरीदने को तैयार होते हैं. खरखोदा सेंटर पर गेहूं में नमी की मात्रा जांचने की मशीन भी लगी हुई थी. ऐसे केंद्र पर गेहूं की खरीद के लिए यह जरूरी है कि नमी की मात्रा उसमें 12 फीसदी से कम हो. खरखौदा सेंटर के इंचार्ज धीरेंद्र कुमार ने बताया कि नई सरकार आने के बाद चीजें काफी सुधर गई हैं.
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पहले किसानों का भुगतान करने के लिए पैसा आने में काफी देर लगती थी, जिसकी वजह से वह चाहकर भी समय पर भुगतान नहीं कर पाते थे, लेकिन अब इस स्थिति ऐसी नहीं है और किसानों को 48 घंटे के अंदर भुगतान किया जा रहा है. हालांकि कई लोगों का यह कहना था कि जिस सेंटर पर मुख्यमंत्री के निरीक्षण की जानकारी पहले से हो, वहां पर चीजें दुरुस्त होना स्वाभाविक है. कई किसानों का कहना था कि मुख्यमंत्री को अचानक जाकर ऐसे सेंटर पर निरीक्षण करना चाहिए, ताकि असली स्थिति का पता चले.