उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने वायु प्रदूषण नियंत्रण तथा वायु गुणवत्ता के सुधार के लिए प्रभावी कार्य योजना बनाए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि विगत वर्षों के अनुभव के दृष्टिगत वायु प्रदूषण के प्रबन्धन की कारगर रणनीति बनाते हुए आगामी शीत ऋतु में कार्य योजना के क्रियान्वयन के सम्बन्ध में अग्रिम तैयारी कर ली जाए। साथ ही, भविष्य की रणनीतियों और माइक्रो प्लानिंग की प्रगति के सम्बन्ध में भी समीक्षा करते हुए कार्यवाही की जाए। उन्होंने कहा कि स्वच्छ एवं संतुलित पर्यावरण तथा वायु प्रदूषण मुक्त वातावरण के लिए सभी लोग जागरूक हों।
मुख्यमंत्री जी आज यहां अपने सरकारी आवास पर प्रदेश के 17 नाॅन अटेनमेण्ट शहरों (एन0ए0सी0) में वायु प्रदूषण नियंत्रण और वायु गुणवत्ता में सुधार के सम्बन्ध में समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए सभी सम्बन्धित विभाग व संस्थाएं प्रभावी पहल करते हुए बेस्ट पै्रक्टिसेज को परस्पर साझा करें। उन्होंने इस सम्बन्ध में नगर निगम, वन विभाग एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को समन्वय बनाकर कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश के सभी नाॅन अटेनमेण्ट शहरों के लिए प्रदूषण स्रोतों के विस्तृत विश्लेषण करते हुए भविष्य की रणनीति बनायी जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 10 लाख की ऊपर की आबादी वाले शहरों जैसे-लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद और आगरा में वायु प्रदूषण में वृद्धि के चिन्ह्ति कारणों को दूर किया जाए। गोरखपुर में वायु प्रदूषण नियंत्रण तथा गुणवत्ता सुधार के लिए अपनायी गई रणनीति के प्रभावी परिणाम मिले हैं। इसी प्रकार की रणनीति एवं माॅडल एक्शन प्लान को अन्य शहरों के लिए भी लागू किया जाए। उन्होंने जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित जिला पर्यावरण समिति की नियमित बैठकें आयोजित कर कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए।
अपर मुख्य सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन श्री मनोज सिंह ने मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया कि वायु प्रदूषण के नियंत्रण और वायु गुणवत्ता के सुधार के लिए एयर क्वालिटी माॅनीटरिंग कमेटी की बैठक की जा चुकी है। इस बैठक में प्रत्येक नाॅन अटेनमेण्ट शहर की वायु गुणवत्ता की स्थिति और अच्छी वायु गुणवत्ता वाले दिनों की संख्या का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत किया गया। उन्होंने बताया कि आगामी शीत ऋतु में गे्रडेड रिस्पाॅन्स एक्शन प्लान (जी0आर0ए0पी0) के कार्यान्वयन की अग्रिम तैयारी के लिए रणनीति बनाते हुए माइक्रो प्लानिंग की जा रही है। वायु प्रदूषण के नियंत्रण के लिए उत्तरदायी सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों को कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए गए हैं।
गोरखपुर के नगर निगम, वन विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों द्वारा वायु गुणवत्ता में सुधार हेतु हाइवे निर्माण, सड़क चैड़ीकरण, पार्किंग इन्फ्रास्ट्रक्चर, एण्ड-टू-एण्ड पेविंग आॅफ दि रोड, हाॅट स्पाॅट प्रबन्धन जैसी ढांचागत परियोजनाओं को कुशल व रणनीतिक तरीके से लागू किया गया है। इसके परिणामस्वरूप वर्ष गोरखपुर में 2020-21 में वायु गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है और अच्छी वायु गुणवत्ता वाले दिनों की संख्या में वृद्धि हुई है। इस रणनीति और दृष्टिकोण को अन्य नाॅन अटेनमेण्ट शहरों के लिए भी लागू किया जाएगा। रायबरेली और खुर्जा में भी वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
अपर मुख्य सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन ने बताया कि सभी निर्माण परियोजनाओं को अनिवार्य रूप से उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा विकसित डस्ट एप पोर्टल पर अपना डस्ट कण्ट्रोल सेल्फ आॅडिट अपलोड किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। उ0प्र0 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सम्बन्धित विभागों की संयुक्त टीमों द्वारा सेल्फ आडिट को क्राॅस वेरीफाई किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सड़क की धूल को वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण के रूप में चिन्ह्ति किया गया है। इसके लिए परिवहन के दौरान निर्माण सामग्री की यांत्रिक सफाई, छिड़काव और कवरिंग किए जाने पर जोर दिया जा रहा है। क्लीन एयर एक्शन प्लान के जमीनी स्तर पर प्रभावी अनुश्रवण के लिए जिला पर्यावरण समिति की बैठकें नियमित रूप से आयोजित की जाएंगी।