एनडीए के साथ सरकार बनाने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने महागठबंधन टूटने की वजह बताते हुए पीएम मोदी की तारीफों के पुल बांधे. उन्होंने विपक्षी दलों को चुनौती देते हुए कहा कि मोदी से कोई मुकाबला करने की कूवत किसी में नहीं है. बीजेपी के साथ जुड़ने पर कहा कि यह पहले से तय नहीं था. अचानक बनी परिस्थितियों के कारण ऐसा हुआ.
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नीतीश ने कहा कि मैंने पूरी क्षमता के साथ गठबंधन चलाने की कोशिश की लेकिन राजद की तरफ से कई बार आपत्तिजनक बयान आए. तेजस्वी मामले में आरजेडी द्वारा चुप्पी साध लेने पर मेरे पास दूसरा कोई विकल्प नहीं था. यही गठबंधन टूटने की अहम वजह रही. उन्होंने स्पष्ट किया कि हम सहयोगी हो सकते हैं, फ़ॉलोअर नहीं होंगे.
1.नीतीश कुमार एक जमाने में पीएम मोदी से दूरी बनाकर रखना चाहते थे. इसके कई उदाहरण मौजूद हैं. ऐसा नहीं था कि मोदी अगर गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर दिल्ली आए हों तो कोई कांग्रेसी नेता उनसे हाथ न मिलाए. लेकिन जब नीतीश बिहार के मुख्यमंत्री थे और नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री तो दोनों पंजाब की एक रैली में मिले, जहां नीतीश उनसे हाथ मिलाने में सकुचा रहे थे.
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2.जब बिहार में भयंकर बाढ़ आई थी तो नरेंद्र मोदी सरकार ने बिहार बाढ़ पीड़ितों के लिए सहायता भेजी थी जिसे उन्होंने लौटा दिया था. इस बात का जिक्र पीएम मोदी ने कई बार अपने भाषणों में भी किया था.
3.पटना में एक बार बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग के दौरान उन्होंने बीजेपी नेताओं के लिए डिनर रखा था, उसे भी पीएम मोदी की उपस्थिति को लेकर रद्द कर दिया था.
नीतीश ने कभी एनडीए का साथ पीएम नरेंद्र मोदी की वजह से छोड़ दिया था, आज वह उन्हीं के साथ हो लिए हैं… इसने एक बार फिर साबित किया कि राजनीति में कोई दोस्त या दुश्मन नहीं होता.
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