गुरदासपुर लोकसभा उप चुनाव का बिगुल कभी भी बज सकता है। कांग्रेस विधायकों की सरकार से बढ़ती नाराजगी पार्टी के लिए चिंता का कारण बनती जा रही है। पार्टी इस बात को लेकर परेशान है कि उपचुनाव से पहले मामले को नहीं संजीदगी से संभाला गया तो चुनाव पर इसका असर पड़ सकता है। भाजपा सांसद विनोद खन्ना के निधन के कारण इस सीट पर उपचुनाव होना है।
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कांग्रेस पार्टी और सरकार के बीच की खटास भी कई मौकों पर सामने आ चुकी है। पार्टी के विधायक भी समय-समय पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के समक्ष नजरअंदाज किए जाने का मुद्दा उठा रहे हैं। इसके बावजूद विधायक और सरकार के बीच तालमेल नहीं बन पा रहा है। विधायकों की शिकायत है कि सरकार में उनके काम नहीं हो रहे हैं जिसकी वजह से उन्हें जनता को जवाब देना मुश्किल हो रहा है, जबकि मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि जो काम हो सकते हैं वे सभी हो रहे हैं।
विधायकों की नाराजगी का एक और कारण है कि उनकी मांग के बावजूद मजीठिया के खिलाफ सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। कांग्रेस के 40 विधायकों ने मुख्यमंत्री को हस्ताक्षर युक्त पत्र लिखा है। इस पत्र में मुख्य रूप से पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया पर सख्त कानूनी कार्रवाई करने की मांग की गई है क्योंकि वह खुले मंच से कांग्रेसी विधायकों को सीधे रूप से निशाना साध रहे है। पत्र देने के एक सप्ताह बाद भी मुख्यमंत्री द्वारा इस पर संज्ञान नहीं लेने से विधायकों में रोष बढ़ रहा है।
मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी का कहना है विधायकों ने अपनी बात मुख्यमंत्री के समक्ष रख दी है। इसके कई पहलू होते हैं। अगर कोई ऐसी मांग रखे कि उसे पूरा ही नहीं किया जा सकता या उसके पूरा करने से कई परेशानियां खड़ी हो जाएंगी, या उसे कैसे पूरा किया जाए, इसे देखना मुख्यमंत्री का काम है। ऐसे में अगर कोई नाराज हो तो यह बेवजह बात है।
अहम पहलू यह है कि विधायकों का रोष सबसे ज्यादा प्रदेश के माझा क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। इसका मुख्य कारण माझा में बड़ी संख्या में सीनियर विधायक हैं। इनको उम्मीद थी कि कैबिनेट विस्तार में उनका दांव लग सकता है लेकिन मुख्यमंत्री द्वारा कैबिनेट विस्तार को लंबित करने से भी रोष बढ़ रहा है। इसका असर गुरदासपुर उप चुनाव पर भी पड़ सकता है।
मुख्यमंत्री के सूत्र बताते हैं कि कैप्टन को भी इस बात का पूरा एहसास है, यही कारण है कि अब कैबिनेट विस्तार गुरदासपुर उप चुनाव के बाद होगा। विधायक अपने रोष को एक किनारे रख कर चुनाव पर फोकस करेंगे जिसका पार्टी को लाभ मिलेगा।
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