कोरोना महामारी के दौर में लॉकडाउन लगा तो लोगों का घरों से बाहर आना-जाना बंद हो गया। इस दौरान पेट्रोल और डीजल की लगातार कीमतें भी बढ़ी लेकिन इसका विरोध कहीं दिख नहीं रहा है।
हालांकि घरों में बैठे लोगों ने बिजली की खपत बढ़ने की संभावना थी लेकिन मई में आए आंकड़े बताते हैं कि पेट्रोल और डीजल की बिक्री में एक महीने की तुलना में करीब 17 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं, बिजली मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश में बिजली की खपत मई में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 8.2 प्रतिशत बढ़कर 110.47 अरब यूनिट (बीयू) हो गई। 2019 के मुकाबले खपत का यह आंकड़ा कम है।
एक साल में सबसे नीचे पहुंची बिक्री दर
सार्वजनिक क्षेत्र में खुदरा र्इंधन विक्रेता कंपनियों के आंकड़ों बताते हैं कि पेट्रोल की बिक्री – मई में गिरकर 17.9 लाख टन रह गई, जो पिछले एक साल का सबसे निम्न स्तर है। हालांकि, पिछले साल मई के मुकाबले यह खपत लगभग 13 फीसद अधिक रही, यह कोरोना के पहले के 24.9 लाख टन के स्तर से 28 फीसद कम रही। देश में पिछले साल मई में काफी सख्त पूर्णबंदी लगाई गई। इस दौरान रेल और तमाम गतिविधियां भी बंद कर दी गई। इस साल, संक्रमण दर बहुत गंभीर है, लेकिन प्रतिबंध स्थानीय रही है। आवागमन भी पिछले साल की तरह बाधित नहीं हुआ। कई राज्यों में कारखाने खुले रहे हैं जबकि राज्यों के बीच माल की आवाजाही भी बुरी तरह प्रभावित नहीं हुई। ईंधन और डीजल की मांग – मई 2021 में गिरकर 48.9 लाख टन रह गया, जो इससे पिछले महीने से 17 फीसद और मई 2019 के मुकाबले 30 फीसद कम रही है। हवाई सेवा ने कम क्षमता के साथ उड़ान जारी रखा, लेकिन मई में जेट ईंधन (एटीएफ) की बिक्री 2,48,000 टन रही, जो अप्रैल 2021 की तुलना में 34 फीसद और मई 2019 की तुलना में 61.3 फीसद कम थी। मई 2020 में जेट ईंधन की बिक्री 1,09,000 टन रही। मई 2021 में रसोई गैस सिलेंडर की बिक्री छह प्रतिशत घटकर 21.6 लाख टन रही, लेकिन यह मई 2019 में बेचे गए 20.3 लाख टन की तुलना में छह प्रतिशत अधिक थी। एलपीजी में पिछले साल बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। क्योंकि पिछले पूर्णबंदी में सरकार ने कोविड-19 राहत पैकेज में मुफ्त सिलेंडर दिए थे।
पिछले साल के मुकाबले गिरी खपत
देश में बिजली की खपत को लेकर सरकार से प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि मई में 8.2 प्रतिशत बढ़कर 110.47 अरब यूनिट हो गई। इससे बिजली की कामर्शियल और औद्योगिक मांग में धीमी गति से सुधार का संकेत मिलता है। जानकारी के मुताबिक, मई में बिजली की औद्योगिक मांग में सुधार की धीमी गति के लिए महामारी और पूर्णबंदी को जिम्मेदार कह सकते हैं।
इसके अलावा मई में देश के पूर्वी और पश्चिमी तट पर आए दो चक्रवातों के कारण विभिन्न क्षेत्रों में गर्मी में बारिश और कम गर्मी होने से भी बिजली की खपत कम हुई। पिछले साल मई में बिजली की खपत 102.08 बीयू थी और इसमें मई 2020 के मुकाबले 15 प्रतिशत की गिरावट देखी गई थी। मई 2019 में बिजली की खपत 120.02 बीयू थी।
-GB Singh