कोरोना वायरस ने भले ही देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार को कम किया है और जिंदगी जीने का तरीका बदल दिया है, लेकिन संक्रमण से उत्पन्न खौफ ने ऑटोमोबाइल सेक्टर को संजीवनी दे दी है। सार्वजनिक परिवहन के विकल्प के रूप में कार, बाइक और साइकिल ही सुरक्षित सवारी बनी हैं और इनकी डिमांड बढ़ गई है।
सार्वजनिक परिवहन से डगमगाया भरोसा
संक्रमण के खौफ के चलते सार्वजनिक परिवहन को लेकर लोगों का भरोसा डगमगाने लगा है और इससे निजी वाहनों की बिक्री में लगातार इजाफा हो रहा है। पिछले 15 दिनों में मुजफ्फरपुर में 4815 वाहन बिके है। वर्तमान में रोजाना औसतन 180 स्कूटी और बाइक, 80 एलजीवी और 65 एलएमवी कारें बिक रही हैं। बीएस-4 अब कोई मुद्दा नहीं है। शादी-विवाह को लेकर कारों की मांग बढऩे लगी है।
इस साल फरवरी से 16 जून 20 हजार 877 वाहनों की बिक्री हुई। इनमें 15 हजार 983 बाइक और स्कूटी शामिल हैं। पिछले वर्ष इस अवधि में जिले में 41 हजार 882 वाहन बिके थे।
निजी कंपनी और बैंक फाइनेंस कर रहे
प्रशांत होंडा के संजय शर्मा का मानना है कि लोग अब निजी वाहन की ओर आकृष्ट हो रहे हैं। निजी कंपनी और बैंक फाइनेंस कर रहे हैं। विवाह लग्न का भी लाभ मिलने लगा है। प्रशांत होंडा के ही मनोज कुमार बताते हैं कि बाइक और स्कूटी की मांग का ग्राफ बढ़ा है। एक्सिस बैंक के फाइनेंस मैनेजर भरत चौबे के अनुसार फाइनेंस की सुविधा, कम ब्याज दर और आसान मासिक किस्त की सुविधा मिलने के कारण लोग कार खरीद रहे हैं।
सफर में निजी वाहनों को दे रहे तवज्जो
अनलॉक-वन में सरकारी व प्राइवेट बसों का परिचालन शुरू होने के बाद भी सीट की क्षमता के अनुसार यात्री नहीं मिल रहे हैं। यही हाल ऑटो का भी है। यात्रियों की कमी से अधिकतर ऑटो खाली चल रहे हैं। कोरोना के संक्रमण के भय से कई लोग इन सार्वजनिक वाहनों से सफर करने से परहेज कर रहे हैं। लिहाजा सामूहिक रूप से यात्रा करने वालों में कमी आई है। लोग सफर में निजी वाहनों एवं रिजर्व वाहनों को तवज्जो दे रहे हैं।
अधिकतर प्राइवेट बसों की सीटें रह रही खाली
बैरिया से खुलने वाली अधिकतर प्राइवेट बसों की सीटें खाली रह रही हैं। यात्रियों की संख्या कम हुई तो बसों की संख्या में भी कमी आ गई। बिहार राज्य पथ परिवहन निगम की बसों को भी यात्री नसीब नहीं हो रहे हैं। यात्रियों की कमी से निगम की आधी से अधिक बसों का परिचालन नहीं हो पा रहा है। बिहार मोटर ट्रांसपोर्ट फेडरेशन के जिलाध्यक्ष मुकेश शर्मा एवं प्रवक्ता कामेश्वर महतो ने कहा कि ट्रांसपोर्टर्स की कमर टूट गई है। लॉकडाउन में बसों का परिचालन नहीं होने से आर्थिक नुकसान हुआ, जब परिचालन शुरू हुआ तो यात्री ही नहीं हैं।
साइकिल का बढ़ा क्रेज
साइकिल का क्रेज बढ़ा है। आर्थिक तंगी में पेट्रोल के खर्च से बचने के लिए लोग छोटी दूरी के लिए अब साइकिल का उपयोग करने लगे हैं। लॉकडाउन से पहले तक जहां लोग छोटी दूरी के सफर में भी बाइक का उपयोग करते थे वहीं अब साइकिल का उपयोग होने लगा है। शिक्षक रामकुमार सिंह ने कहा कि बाजार व आसपास जाने के लिए साइकिल का ही उपयोग करने लगा हूं।
पथ परिवहन निगम की आय में कमी
लॉकडाउन से पूर्व सरकार को प्रतिदिन लाखों का राजस्व देने वाले पथ परिवहन निगम की आय चार लाख से घट कर डेढ़ लाख तक सिमट गई है। यात्रियों की संख्या में लगातार कमी से बसों की संख्या भी कम हो गई है।
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