केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए पीएनबी एवं अन्य दो बैंकों के नौ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की, लेकिन बैंकों ने उसे नजरअंदाज कर दिया और आज तक उन अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। नियमानुसार सीवीसी के अनुरोध के चार महीने के अंदर अभियोग चलाने को मंजूरी देना जरूरी होता है, जबकि इन नौ अधिकारियों के मामले में पिछले साल जून से मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है।
इन नौ में से पांच अधिकारी स्टेट बैंक के हैं और तीन यूको बैंक के हैं। इनके खिलाफ अभियोग चलाने की मंजूरी का मामला जून, 2017 से जबकि पीएनबी के चीफ मैनेजर रैंक के एक अधिकारी का मामला अगस्त, 2017 से लंबित है।
भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारियों के खिलाफ अभियोग चलाने की मंजूरी के मामले में चार केस कार्मिक मंत्रालय में, तीन उत्तर प्रदेश सरकार में, दो रेलवे मंत्रालय में और एक-एक रक्षा एवं वाणिज्य मंत्रालय में लंबित हैं। इनके अलावा जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश एवं अरुणाचल प्रदेश की सरकारों के पास भी एक-एक मामले मंजूरी के इंतजार में पड़े हैं।