21वें कॉमनवेल्थ खेलों में भारतीय वेटलिफ्टर पूनम यादव से जैसे प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही थी, उन्होंने वैसा ही किया. पूनम ने 69 किलो भारवर्ग में भारत को वेटलिफ्टिंग में पांचवां गोल्ड मेडल दिलाया.
पूनम ने कुल 222 किलो वजन उठाया. स्नैच में 100 और क्लीन एंड जर्क में पूनम ने 122 किलो ग्राम वजन उठाया. महिलाओं की बात करें, तो इससे पहले भारत को वेटलिफ्टिंग में मीराबाई चानू और संजीता चानू गोल्ड मेडल दिला चुकी हैं.
शाबाश ! पूनम
22 साल की पूनम यादव का यह मेडल बेहद खास है. जिंदगी की कई मुश्किलों को हराकर वो इस मुकाम तक पहुंची हैं. पूनम का जन्म वाराणसी के एक बेहद ही गरीब परिवार में हुआ था. उनके पिता कैलाश नाथ यादव दूध बेचकर परिवार का भरण-पोषण करते थे. उनके घर की स्थिति ऐसी थी कि कई बार चूल्हा तक नहीं जलता था.
एक समय में पूनम घर में भैंसों की देखरेख करती थीं. ऐसे हालात में उन्होंने वेटलिफ्टिंग शुरू की. मजबूत इरादों वाली पूनम ने जैसे ही वेटलिफ्टिंग को अपना करियर चुना, उसके बाद से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
आज पूनम की गिनती देश की बेहतरीन वेटलिफ्टरों में की जाती हैं. वह रेलवे में अच्छे पद पर नौकरी कर रही हैं. कॉमनवेल्थ खेलों में गोल्ड मेडल जीतकर उन्होंने अपने प्रति देशवासियों और खेलप्रेमियों की उम्मीदें और बढ़ा दी हैं.
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